Nobel Peace Prize: Alt News के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा-मोहम्मद जुबैर भी होड़ में, कल होगा फाइनल विजेता

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 05, 2022, 04:28 PM IST

पिछले कुछ महीनों के दौरान Alt News और उसके सह-संस्थापक Mohammed Zubair को लगातार मुकदमों का सामना करना पड़ा है.

डीएनए हिंदी: इस सप्ताह अलग-अलग कैटेगरी में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize 2022) विजेताओं के नाम घोषित किए जा रहे हैं. शुक्रवार को नॉर्वियन नोबेल कमेटी (Norwegian Nobel Committee) उस विजेता का नाम घोषित करेगी, जो इस साल प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) के लिए चुना गया है. यह नाम नार्वे के स्थानीय समय के हिसाब से सुबह 11 बजे घोषित किया जाएगा. नोबेल शांति पुरस्कार को दुनिया में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित माना जाता है और इसका हकदार उन लोगों को माना जाता है, जिन्होंने मानवता के कल्याण के लिए सबसे बेहतरीन काम किया हो. पूरी दुनिया से इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए आवेदन नोबेल कमेटी को मिले हैं, जिनमें वैश्विक नेताओं व राजनीतिज्ञों के साथ ही दो भारतीय पत्रकारों को भी फेवरेट लिस्ट में शामिल किया गया है. ये दो भारतीय पत्रकार फैक्ट चैकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज (Alt News) वेबसाइट के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा (Pratik Sinha) और मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) हैं, जो पिछले कुछ महीनों के दौरान भारत में कई तरह के विवाद में फंसे रहे हैं.

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झूठी खबरों व हेट स्पीच के खिलाफ लड़ाई के लिए शामिल

एक Reuters survey के मुताबिक, प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबैर का नाम नोबेल शांति पुरस्कार की लिस्ट में नार्वे के सांसदों ने नामित किया है. सिन्हा और जुबैर को अपनी फैक्ट चैकिंग वेबसाइट के जरिए मनगढ़ंत सूचनाओं के खिलाफ लड़ाई, सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली अफवाहों व झूठी खबरों को तथ्यात्मक तरीके से गलत साबित करने और हेट स्पीच के खिलाफ आवाज उठाने के लिए नामित किया गया है. 

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जुबैर को हाल ही में किया गया था गिरफ्तार

ऑल्टन्यूज (AltNews) के संस्थापको को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेशन उस दौर में आया है, जब जुबैर को चार साल पुराने ट्वीट के लिए हाल ही में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इसके अलावा जुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर मुकदमे दर्ज कराए गए हैं. जुबैर पर समाज में घृणा बढ़ाने और देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है. उन्हें करीब एक महीने बाद 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर रिहा किया था.

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हालांकि जुबैर की गिरफ्तारी की पूरी दुनिया के पत्रकारों ने आलोचना की थी. भारत में भी एडिटर्स गिल्ड (प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के संपादकों-मालिकों का समूह) ने भी 28 जून को बयान जारी करते हुए इस कार्रवाई की निंदा की थी. पत्रकारों के हितों की सुरक्षा का काम करने वाले एडिटर्स गिल्ड ने इसे भारत में प्रेस की स्वतंत्रता का एक और निचला स्तर बताया था.

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नोबेल शांति पुरस्कार की होड़ में ये नाम हैं शामिल

इस साल नोबेल शांति पुरस्कार 2022 (Nobel peace prize 2022) की होड़ में कई अन्य नाम भी शामिल हैं. इनमें बेलारूस में विपक्ष की नेता स्वितलाना सिखानुस्काया (Sviatlana Tsikhanouskaya), ब्रिटिश नेचर ब्रॉडकास्टर डेविड एटनबोर्ग (David Attenborough), विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization), पर्यावरणविद् ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg), पोप फ्रांसिस, तुवालु के विदेश मंत्री साइमन कोफे (Simon Kofe) और म्यांमार की राष्ट्रीय एकता सरकार (National Unity government) शामिल हैं.

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