डीएनए हिंदी: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) की 50 साल बाद दोबारा इंसान को चांद पर भेजने की तैयारियों को करारा झटका लगा है. सोमवार को आर्टिमस-1 (Artemis 1) मिशन के तहत नासा के अब तक के सबसे शक्तिशाली रॉकेट स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) को लॉन्च किया जाना था, लेकिन यह लॉन्चिंग काउंटडाउन के दौरान T-40 मिनट (उड़ान से महज 40 मिनट पहले) पर रोकनी पड़ी. लॉन्चिंग रोकने का कारण ऐन मौके पर स्पेसक्राफ्ट के फ्यूल सिस्टम में गड़बड़ी दिखाई देने लगी. इस गड़बड़ी को ठीक करने के लिए हाइड्रोजन टीम आर्टिमस-1 के लॉन्च डायरेक्टर से बात कर रही है.
इस रॉकेट को अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में मौजूद केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाना था. यह लॉन्चिंग अमेरिकी समय के हिसाब से सोमवार सुबह लगभग 8.33 बजे (भारतीय समय के हिसाब से शाम करीब 6.03 बजे) होनी थी, लेकिन इसका काउंटडाउन भारतीय समय के हिसाब से शाम करीब 5 बजे रोक दिया गया. नासा ने काउंटडाउन रोकने की जानकारी ट्विटर पर साझा की है.
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पूरी रात भरा गया था रॉकेट में फ्यूल
नासा ने SLS के अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट होने का दावा किया है. तकरीबन 98 मीटर (322 फुट) लंबे SLS का वजन 2,600 किलोग्राम है. नासा के मुताबिक, रॉकेट में रविवार की पूरी रात के दौरान करीब 30 लाख लीटर अल्ट्रा कोल्ड लिक्विड हाइड्रोजन फ्यूल भरा गया था, लेकिन ऑक्सीजन ईंधन भरने का काम रोक दिया गया था. उस समय कहा गया था कि ऑक्सीजन भरने से आग लगने का खतरा है, इसलिए इसे उड़ान से ठीक पहले रॉकेट में भरा जाएगा.
लॉन्च से 5 घंटे पहले पकड़ में आया फ्यूल लीकेज
अमेरिकी समय के हिसाब से सुबह करीब 3 बजे फ्यूल टीम को रॉकेट के टैंक में लीकेज की संभावना दिखाई दी. यह लीकेज रॉकेट के मेन हिस्से में मौजूद हाइड्रोजन फ्यूल टैंक में थी, जिसके चलते रॉकेट ब्लास्ट हो सकता था. इसके चलते फ्यूल भरने का काम उसी समय रोक दिया गया. बाद में फ्यूल टैंक के कई टेस्ट किए गए. इन टेस्ट में लीकेज नहीं दिखाई देने पर फ्यूल भरने का काम दोबारा शुरू किया गया. इस बात की जानकारी नासा के एक्सप्लोरेशन ग्राउंड सिस्टम ने ट्वीट के जरिए सभी से साझा की.
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लॉन्चिंग देखने पहुंचे हुए हैं 10 हजार लोग
नासा के इस ऐतिहासिक रॉकेट लॉन्च को देखने के लिए करीब 10 हजार लोग पहुंचे हुए हैं, जिनमें उपराष्ट्रपति कमला हैरिस (Kamla Harris) भी शामिल हैं.
मिशन की सफलता से जुड़ी है इंसान की चंद्रमा पर वापसी
इस रॉकेट से नासा ओरियोन नाम के एक क्रू कैप्सूल को अंतरिक्ष में भेज रही थी. इस टेस्ट कैप्सूल में असल में 6 लोग बैठ सकते हैं. टेस्ट कैप्सूल को अंतरिक्ष में छोड़ने के बाद SLS को करीब 6 सप्ताह तक चांद के चारों तरफ चक्कर लगाना था और इसके बाद प्रशांत महासागर में सुरक्षित लैंड करना था.
फिलहाल इस रॉकेट के पहले मिशन में नासा किसी अंतरिक्ष यात्री को नहीं भेज रही थी, लेकिन इस लॉन्चिंग के सफल होने पर साल 2024 तक नासा फिर से इंसान को चांद पर भेजने की तैयारी कर रही है. इसके लिए SLS के 6 सप्ताह तक अंतरिक्ष में रहने के दौरान रिकॉर्ड हुए डाटा के हिसाब से तैयारी की जानी थी.
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