Haj Yatra Update: हज पर जाने वाले मुस्लिम अब फिर चूम सकेंगे काबा का पत्थर, इस कारण लगी थी पाबंदी

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 05, 2022, 12:02 AM IST

सऊदी अरब सरकार ने यह पाबंदी उमरा की यात्रा शुरू होने से ठीक पहले हटाई है, जिसमें शामिल होने के लिए पूरी दुनिया से करोड़ों लोग आते हैं.

डीएनए हिंदी: हज यात्रा (Haj Yatra) पर जाने वाले हाजियों के लिए एक अच्छी खबर है. सऊदी अरब (Saudi Arab) ने मक्का (Mecca) में मौजूद काबा (Kaba) के पवित्र काले पत्थर (Black Stone) को छूने और चूमने पर लगी पाबंदी हटा ली है. इसका मतलब है कि उमरा (Umrah) की यात्रा पर जाने वाले मुस्लिम श्रद्धालु पहले की तरह इस काले पत्थर को छूकर दुआ मांग सकेंगे. 

कोरोना वायरस के कारण 30 महीने पहले लगी थी पाबंदी

BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, काबा के पवित्र ब्लैक स्टोन को छूने और चूमने पर लगी पाबंदी करीब 30 महीने बाद हटाई गई है. दरअसल पूरी दुनिया में कोरोना वायरस महामारी का कहर शुरू होने के बाद सऊदी अरब शासन ने पहले हज यात्रा को रोक दिया था. इस दौरान स्थानीय निवासियों के भी काले पत्थर को छूने और चूमने पर रोक लगा दी गई थी. यह रोक इस आशंका के चलते लगाई गई थी कि इससे कोरोना वायरस (Corona VIrus) का संक्रमण फैल सकता है. 

बाद में सऊदी अरब ने जब हज यात्रा को दोबारा शुरू किया, तब भी काबा के चारों और बैरिकेडिंग करके इस पाबंदी को बरकरार रखा गया था. अब यह बैरिकेडिंग हटा ली गई है. सऊदी अरब से आई तस्वीरों में भी हाजी काले पत्थर को चूमते और छूकर दुआ करते दिखाई दे रहे हैं.

क्या है काबा का ब्लैक स्टोन

इस्लाम में ब्लैक स्टोन काबा के पूर्वी कोने में लगा एक बड़ा काला पत्थर है. अरबी भाषा में अल-हजर-अल-असवद कहलाने वाले काले पत्थर को मक्का पहुंचने वाले हाजी छूते और चूमते हैं. इस पत्थर को धरती पर इंसानों के पहले कदम के जमाने का माना जाता है.  ऐसा नहीं है कि यह पत्थर इस्लाम धर्म में ही पवित्र माना गया है. इस्लाम के आगमन से पहले भी काबा में पूजा होती थी. तब यहां मूर्ति पूजा होती थी और उस समय भी इस काले पत्थर को पवित्र होने का दर्जा हासिल था. लोगों में मान्यता है कि यह सफेद पत्थर था, जो स्पर्श करने वाले लोगों के पाप अपने पास ले लेता है और इसी कारण इसका रंग काला हो गया है. 

उमरा की यात्रा से पहले हटी पाबंदी, आखिर क्या है ये सफर

BBC के मुताबिक, उमरा भी हज जैसा ही है. दोनों में ही मक्का की यात्रा कर दुआ मांगी जाती है. हालांकि हज यात्रा साल के एक खास महीने में ही की जाती है, जबकि उमरा की यात्रा 12 महीने चलती रहती है. उमरा में भी हज में किए जाने वाले धार्मिक क्रियकलाप अंजाम दिए जाते हैं. 

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