LAC Disengagement: चीन ने कर ली थी युद्ध की पूरी तैयारी, जानिए लद्दाख की सैटेलाइट पिक्स में क्या दिखा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 17, 2022, 08:36 PM IST

India Vs China: मैक्सर की तरफ से जारी सैटेलाइट पिक्स से यह भी स्पष्ट हो गया है कि चीनी सेना गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स में अब 3 किलोमीटर पीछे हट गई है.

डीएनए हिंदी: पूर्वी लद्दाख में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स (Gogra Hot Springs) इलाके से आपसी समझौते के तहत भारत और चीन की सेनाएं पूरी तरह पीछे हट गई हैं. इस दावे की पुष्टि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से हो गई है. ये Satellite Images मैक्सर फोकस (Maxar focus) ने जारी की हैं, जिनसे यह भी खुलासा हुआ है कि चीनी सेना ने यहां युद्ध की कितने बड़े पैमाने पर तैयारी कर ली थी. 

चीनी सेना ने यहां बेहद अहम सामरिक पॉइंट पर अपना बहुत बड़ा आर्मी बेस बना लिया था, जिसे पीछे हटने से पहले उसने ध्वस्त कर दिया है. यह आर्मी बेस उस जगह के एकदम करीब था, जहां साल 2020 तक भारतीय सेना (Indian Army) पिछले 50 साल से लगातार गश्त कर रही थी.

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3 किलोमीटर पीछे हट गई है चीनी सेना

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की पीपुल्स रिपब्लिकन आर्मी (People's Republic Army) अब LAC से पीछे हटकर करीब 3 किलोमीटर पीछे चली गई है. सैटेलाइट इमेज से इसकी पुष्टि हो गई है. यह उस समझौते के तहत है, जो दोनों सेनाओं के बीच LAC पर तनाव घटाने के लिए चल रही बातचीत के 17वें दौर में तय हुआ था. दोनों देशों के कोर कमांडर लेवल के अधिकारियों के बीच यह समझौता 17 जुलाई को हुआ था.

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इसके तहत 8 सितंबर से दोनों तरफ की सेनाओं ने गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स इलाकों से पीछे हटने यानी डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू की थी. विदेश मंत्रालय ने 13 सितंबर को यह प्रक्रिया पूरी होने और दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हट जाने का दावा किया था.

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हालांकि मैक्सर फोकस की तरफ से NDTV  को दी गईं सैटेलाइट तस्वीरों में केवल चीनी पोजिशंस की डिसएंगेजमेंट से पहले और बाद की स्थिति दिखाई गई है. इनमें LAC पर बफर जोन या नो मेंस लैंड की स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं है. ये बफर जोन दोनों देशों की सेनाओं ने समझौते में तय किया था और आपस में विश्वास बहाली के लिए इस जोन में किसी भी तरह की गश्त पर पाबंदी लगाई गई थी.

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क्या दिखाई दिया है सैटेलाइट इमेज में

चीनी सेना के पीछे हटने से पहले 12 अगस्त की सैटेलाइट इमेज में यहां के बहुत बड़ी बिल्डिंग बनी हुई दिख रही है, जो भारतीय पेट्रोल टीमों के पेट्रोलिंग पॉइंट-15 के बिल्कुल करीब है. यह बिल्डिंग चीन का एक सामरिक अहमियत वाला आर्मी बेस है, जिसका निर्माण मई, 2020 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गलवां घाटी (Galwan Valley) में संघर्ष के बाद बढ़े तनाव के बीच चीनी सेना ने किया था. 

इस बिल्डिंग को ट्रेंच (खाई) से घेरा गया था, जिनमें इंफेंट्री (infantry) ब्रिगेड की तोप और मोर्टार (Mortar) तैनात किए गए थे. इनके लिए खाई में फॉक्स होल बनाए गए थे.

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15 सितंबर की सैटेलाइट इमेज में यह पूरा आर्मी बेस ध्वस्त दिखाई दे रहा है. चीनी सेना के ट्रक इस बिल्डिंग को गिराने के बाद मलबे को यहां से निर्माण के मलबे को उत्तरी हिस्से में लेकर गए हैं, जहां एक अस्थायी ठिकाने का निर्माण होता दिखाई दे रहा है. एक अन्य इमेज में इस जगह पर जमीन को दोनों देशों के बीच डिसएंगेजमेंट एग्रीमेंट (disengagement agreement) में तय स्थिति के अनुकूल बनी दिखाई दे रही है.

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भारतीय सेना ने भी हटा ली हैं दो चौकियां

इस इलाके के स्थानीय पार्षदों के मुताबिक, भारतीय सेना ने भी एग्रीमेंट का पालन करते हुए अपनी सीमा के भीतर मौजूद दो चौकियां हटा ली हैं. हालांकि इसकी पुष्टि दिल्ली में भारतीय सेना के अधिकारियों ने नहीं की है. 

लद्दाख के चुशुल क्षेत्र के पार्षद कोंचोक स्टेनजिन ने NDTV को बताया कि हमारे सैनिक न केवल पेट्रोल पॉइंट 15 (PP-15) बल्कि पेट्रोल पॉइंट 16 (PP-16) से भी पीछे हट गए हैं, जहां हमारी सेना पिछले 50 साल से गश्त लगाती थी. 

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स्थानीय लोग PP-16 से भारतीय सेना हटने पर परेशान

स्टेनजिन के मुताबिक, PP-16 से भारतीय सेना का पीछे हटना स्थानीय लोगों के लिए बड़ा झटका है. यह हमारा जानवर चराने का इलाका है. खासतौर पर खानाबदोश चरवाहों के लिए यह लंबे समय से मुख्य इलाका रहा है. सर्दियों में यही मुख्य पशु चरागाह रहता है. अब यह बफर जोन बन गया है, जहां आवाजाही पर प्रतिबंध है.

क्या भारत ने छोड़ दिए हैं अपने ही इलाके?

आपसी सहमति से LAC पर बनाए बफर जोन को भारत के लिए नुकसान का कारण माना जा रहा है. डिफेंस एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एकतरफ इन बफर जोन के बनने से चार इलाकों में अब गतिरोध टूट गया है, जहां चीनी सेना ने नियंत्रण रेखा पार करके कब्जा किया था. हालांकि यह भी स्पष्ट है कि ये बफर जोन भारतीय इलाके में बनाए गए हैं, जहां भारतीय सेना और इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) अब गश्त नहीं लगा सकती हैं. 

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इसके अलावा अभी भी चीनी सेना गोगरा के उत्तर में डेपसांग के मैदान (Depsang Plains) में अब भी कब्जा किए बैठी है और भारतीय पेट्रोलिंग टीमों की राह रोक रही है. यहां डिसएंगेजमेंट की वार्ताओं पर अब तक प्रोग्रेस नहीं दिखाई दी है.

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