Social Media Terrorism: भारत में सोशल मीडिया से नफरत फैला रहा जैश, जानिए टैरर फाइनेंसर फरहतुल्ला गौरी का तरीका

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 15, 2022, 05:05 PM IST

सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले वीडियो और संदेशों के जरिए आपस में हिंसा भड़काना और युवाओं को बरगलाना बेहद आसान है. इसी कारण आतंकी संगठन अब इस टूल का जमकर उपयोग कर रहे हैं.

डीएनए हिंदी: पाकिस्तान के आतंकी संगठन अब भारत में माहौल खराब करने के लिए आतंकी घटनाओं के साथ ही सोशल मीडिया का भी जमकर उपयोग कर रहे हैं. खासतौर पर इनका निशाना वे मुस्लिम हैं, जो किसी ने किसी कारण से भारत सरकार से नाराज हैं. सोशल मीडिया के जरिए आतंक फैलाने की इस योजना का मास्टरमाइंड पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-E-Mohammed) का फाइनेंसर फरहतुल्ला गौरी (Farhatullah Ghori) है, जो टेलिग्राम (Telegram), यूट्यूब (Youtube) और फेसबुक (Facebook) पर बाकायदा इसके लिए पेज संचालित कर रहा है.

कौन है फरहतुल्ला गौरी

फरहतुल्ला गौरी मूल रूप से हैदराबाद (Hyderabad) के कुरमागुडा (Kurmahuda) इलाके से है. वह 1994 में भारत से सऊदी अरब (Saudi Arab) भाग गया था. वहां उसने अपनी पहचान आतंकियों के टैरर फंडिंग जुटाने वाले बड़े सोर्स के तौर पर बनाई. इसके बाद वह जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से जुड़ गया और 2015 में पाकिस्तान आकर वहीं बस गया. अब उसे सूफियान नाम से भी जाना जाता है. तीन दशक से भी ज्यादा समय से आतंकवाद से जुड़े होने के बावजूद आज तक गौरी की कोई साफ फोटो सुरक्षा एजेंसियों के पास उपलब्ध नहीं है.

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गौरी JeM के लिए नए आतंकी भर्ती करने का काम देखता है. साथ ही आतंकी संगठन के लिए विभिन्न देशों में चंदा इकट्ठा करना और उसे हवाला के जरिए इधर से उधर पहुंचाने का काम भी करता है. गौरी को भारतीय गृह मंत्रालय (Indian Home Ministry) उन 37 लोगों की सूची में शामिल कर चुकी है, जिन्हें गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आतंकवादी के तौर पर सूचीबद्ध किया गया है.

एक AI स्टार्टअप की जांच में मिले सबूत

IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी आतंकी संगठन की इस नापाक साजिश का खुलासा एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) स्टार्टअप लॉजिकली की विस्तृत जांच में हुआ है. लॉजिकली की जांच में इस बात के सबूत मिले हैं कि गौरी भारत में मुसलमानों को बहकाने और देश के खिलाफ बगावत के लिए उकसाने को फेसबुक, टेलिग्राम और यूट्यूब पर एक बड़े नेटवर्क को लीड कर रहा है. 

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इस साल बनाया सोशल मीडिया पर नेटवर्क

जांच में पाया गया है कि गौरी टेलीग्राम ऐप पर 3 चैनल, फेसबुक पर 2 पेज और यूट्यूब पर 3 चैनल का नेटवर्क चला रहा है. टेलिग्राम ऐप पर तीनों चैनल एन्क्रिप्टेड हैं यानी इनकी जासूसी नहीं हो सकती. ये नेटवर्क इसी साल खड़ा किया गया है यानी सारे पेज और चैनल इसी साल बने हैं. इस नेटवर्क से एक बड़ा दर्शक वर्ग जोड़ने में गौरी सफल रहा है. हालांकि जांच के दौरान, कंटेंट मॉडरेशन टीमों ने समूह से जुड़े एक टेलीग्राम चैनल और एक फेसबुक पेज को हटा दिया है. इसके बावजूद अन्य नेटवर्क अब भी काम कर रहा है.

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कश्मीर के युवाओं को करता है खास टारगेट

एक बयान के मुताबिक, आतंकी प्रचार सामग्री टेलिग्राम ऐप के एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग चैनलों में भी प्रसारित हुई है, जिसमें इस्लामाबाद समर्थित प्रॉक्सी आतंकवादी समूहों से जुड़े लोग भी शामिल हैं. ये लोग कश्मीर क्षेत्र में काम करने का दावा करते हैं. इस नेटवर्क का टारगेट भी कश्मीरी युवा ही रहे हैं. 

लॉजिकल की रिपोर्ट में कहा गया कि जनवरी 2022 से फेसबुक पर वीडियो के एम्पलीफिकेशन पैटर्न की बारीकी से जांच करने से गौरी की टीम का वर्किंग स्टाइल पता चला. इस दौरान पाया गया कि गौरी के चैनलों से जुड़े लोग फेसबुक ग्रुप्स और सोशलिज्म, इस्लाम व अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए काम करने का दावा करने वाले फेसबुक पेजेज पर वीडियो पोस्ट करने की कोशिश करते हैं. ये वीडियो इस तरह के होते हैं, जो सरकार विरोधी और अन्य धर्मों के खिलाफ विचारधारा बनाने की कोशिश करते हैं.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि इन ग्रुप्स में घरेलू यूजर के तौर पर बड़ी अधिक संख्या में मुख्यधारा के लोग आते हैं, जो भाजपा शासित सरकार की आलोचना करते हैं. इसके अलावा, ये समन्वित ऑनलाइन अभियान देश में सांप्रदायिक हिंसा की ऑफलाइन घटनाओं के साथ भी मेल खाते हैं. इससे स्पष्ट है कि आतंकी विचारधारा के ये लोग देश में बने आपसी सांप्रदायिक तनाव का फायदा उठाने और अल्पसंख्यक आबादी को कट्टरपंथी बनाने के लिए प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का लाभ उठा रहे हैं.

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सुरक्षाबलों के खिलाफ हथियार उठाने को उकसाने की कोशिश

रिपोर्ट के अनुसार, इन चैनलों के माध्यम से हो रहे आतंकी प्रचार में गौरी के वॉयस ओवर वाले वीडियो भी शामिल हैं, जिन्हें प्रोफेशनल लोगों की टीम ने एडिट किया है. इनमें से कुछ वीडियो जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) और देश के अन्य हिस्सों में भारतीय सुरक्षा बलों के कथित मानवाधिकार उल्लंघन के कारण पीड़ित मुस्लिम अल्पसंख्यकों की बयानबाजी से जुड़े हैं. इनमें गौरी स्पष्ट तौर पर भारतीय मुस्लिमों को हथियार उठाकर विद्रोह करने के लिए उकसा रहा है. 

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