डीएनए हिंदी: चार महीने से राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहे कुवैत (Kuwait) में आम चुनावों का परिणाम सामने आ गया है. अरब खाड़ी के इकलौते संसदीय लोकतंत्र में 10 साल में छठी बार आम चुनाव हुए हैं. इन चुनावों जेल में बंद दो उम्मीदवारों ने भी जीतकर नेशनल असेंबली में जगह बनाई है, वहीं महिलाओं ने भी कुवैती संसद में दोबारा अपनी जगह बना ली है. कुवैत के 50 साल के लोकतांत्रिक इतिहास में यह पहला मौका है, जब जेल से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार जीते हैं. देश में 2 साल बाद बृहस्पतिवार को हुए आम चुनाव में कुवैती संसद में विपक्षी दलों ने जीत हासिल की है.
कुवैत दुनिया के सबसे बड़े ऑयल एक्सपोर्टर्स में से एक हैं, जिसकी सीमाएं इराक, सऊदी अरब और ईरान के साथ मिलती हैं. अरब की खाड़ी के देशों में लागू राष्ट्रपति शासन या राजशाही व्यवस्था के उलट कुवैत इकलौता देश है, जहां संसदीय प्रणाली वाली लोकतांत्रिक सरकार शासन चलाती है.
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विपक्षी दलों ने जीती आधे से ज्यादा सीट
IANS के मुताबिक, कुवैत में पांच निर्वाचन क्षेत्रों की 50 सीटों के लिए बृहस्पतिवार को चुनाव हुआ था. चुनाव में 305 उम्मीदवारों ने अपना दावा जनता के सामने पेश किया. सरकारी समाचार एजेंसी Kuwait News Agency (KUNA) के हवाले से बताया गया कि कुवैती चुनाव में करीब 800,000 नागरिकों के पास मताधिकार है.
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव परिणाम घोषित कर दिए गए हैं, जिनमें आधी से ज्यादा सीट विपक्षी उम्मीदवारों के खाते में गई हैं. नेशनल असेंबली की 50 में से 28 सीट पर विपक्षी खेमा जीता है, जबकि तीन पूर्व मंत्रियों समेत 20 पूर्व सांसद चुनाव हार गए हैं.
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विजेताओं में दो महिलाएं भी शामिल
चुनाव में दावा ठोकने वाले 305 उम्मीदवारों में से 22 महिलाएं थीं, जिनमें से दो महिलाओं पूर्व मंत्री जेनान बुशहरी और आलिया अल-खालेद ने जीत हासिल की है. इससे दो साल बाद एक बार फिर कुवैती संसद में महिलाओं की वापसी हो गई है. इससे पहले साल 2020 में हुए चुनाव में एक भी महिला उम्मीदवार नहीं जीती थी. इससे पहली संसद में भी महज एक महिला उम्मीदवार ने ही जीत हासिल की थी. कुवैत में लोकतंत्र होने के बावजूद महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बहुत ज्यादा नहीं है. साल 1962 से आज तक वहां संसद में कभी भी 4% से ज्यादा महिलाएं नहीं चुनी गई हैं.
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पहली बार राष्ट्रीय पहचान पत्र से हुए चुनाव
कुवैत में पहली बार राष्ट्रीय पहचान पत्र आधारित मतदान प्रणाली अपनाई गई थी. इसके चलते हर मतदाता को केवल अपने निर्वाचन क्षेत्र के मतदान केंद्र में ही वोट डालने की इजाजत दी गई थी. कुवैती गृह मंत्रालय ने पांच निर्वाचन क्षेत्रों के 123 स्कूलों में मतदान केंद्र बनाए थे.
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चार साल में एक बार चुनाव का नियम, 50 साल में 18 चुनाव
कुवैत में साल 1962 में पहली बार संसदीय प्रणाली के तहत चुनाव हुए थे, लेकिन इस देश की संसदीय प्रणाली हमेशा राजनीतिक अस्थिरता का शिकार रही है. वहां 50 साल के दौरान 18 बार चुनाव हो चुके हैं, जबकि नियम के हिसाब से चार साल में एक बार नेशनल असेंबली मेंबर्स चुने जाने चाहिए. कुवैत पर 2 अगस्त, 1990 को इराकी हमले (Gulf War 1990-91) के बाद लंबे समय तक वहां लोकतांत्रिक व्यवस्था पटरी से उतरी रही थी. पिछले एक दशक के दौरान भी यह देश राजनीतिक तौर पर बेहद अस्थिर रहा है, इसका अंदाजा 10 साल में 6 बार चुनाव होने से लगाया जा सकता है.
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जून में भंग कर दी गई थी सरकार
कुवैत में क्राउन प्रिंस शेख मेसाल अल-अहमद अल-जाबिर अल-सबाह (Kuwait Crown Prince Sheikh Meshal Al-Ahmad Al-Jaber Al-Sabah) ने जून में संसद भंग कर दी थी. उन्होंने इसके लिए दो साल में चौथी बार सरकार और सांसदों के बीच हुए विवाद के कारण राष्ट्रीय एकता के खतरे के कारण बताया था. आधिकारिक तौर पर संसद भंग करने का शाही फरमान 2 अगस्त को जारी किया गया, लेकिन पिछले चार महीने से संसदीय गतिविधि नहीं होने से राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना हुआ था.
कुवैत में कैबिनेट और संसद के बीच तनाव के चलते कैबिनेट में बदलाव होना या संसद भंग कर दिए जाना आम बात है. साल 2016 में भी एकसदनी संसद को भंग कर दिया गया था, जिसके बाद दिसंबर, 2020 में चुनाव हुए थे.
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