Nepal में सरकार और चीफ जस्टिस के बीच ठनी, महाभियोग का सामना कर रहे नेपाली CJ नजरबंद

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 19, 2022, 10:20 PM IST

इस साल फरवरी में 101 सांसदों ने नेपाली सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चोलेंद्र शमशेर राणा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था.

डीएनए हिंदी: नेपाल (Nepal) में सरकार और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (Chief justice of Nepal) चोलेंद्र शमशेर राणा (Cholendra Shumsher Rana) आमने-सामने टकराव की मुद्रा में आ गए हैं. संसद में महाभियोग का सामना कर रहे चीफ जस्टिस ने प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (sher bahadur deuba) की सरकार पर खुद को नजरबंद करने का आरोप लगाया है. CJN राणा का कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में प्रवेश करने से रोक दिया गया और इसके बाद घर में बंद करते हुए पुलिस का कड़ा पहरा लगा दिया गया है. 

राणा के खिलाफ फरवरी में आया था महाभियोग प्रस्ताव

भ्रष्टाचार के आरोप में CJN राणा के खिलाफ इस साल फरवरी में संसद के अंदर महाभियोग प्रस्ताव (Proposal Of Impeachment) पेश किया गया था. उनके 101 सांसदों ने महाभियोग चलाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे, जिनमें नेपाल के कानून मंत्री दिलेन्द्र बडु भी शामिल थे. नेपाल सरकार का दावा है कि इस प्रस्ताव के पेश होते ही राणा खुद ब खुद पद से निलंबित हो गए हैं. राणा पर भ्रष्टाचार और सरकार में हिस्सेदारी के लिए सौदेबाजी करने समेत 21 आरोप लगे थे.

पढ़ें- क्या करें अगर कोई आपका एमएमएस चोरी से बना ले, क्या-क्या कानूनी कदम उठा सकते हैं?

राणा ने कही है अब अपने पत्र में ये बात

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, CJN राणा ने एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया खत्म हो जाने का दावा किया है. राणा के मुताबिक, संसद का आखिरी सत्र खत्म हो चुका है और अब नवंबर में देश के अंदर आम चुनाव होने हैं. ऐसे में उनके खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया खुद ब खुद ही खत्म हो गई है. इस लिहाज से अब मैं दोबारा देश के चीफ जस्टिस के तौर पर काम करूंगा. 

राणा ने यह दावा करने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट जाने की कोशिश की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राणा को इसके बाद ही घर में नजरबंद किया गया है.

पढ़ें- सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कंटेंट कैसे फैलने से रोकती हैं इन्वेस्टिगेटिव एजेंसियां?

जिनकी सरकार बनवाई, उन्होंने ही लगाया महाभियोग

राणा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश करने वाले दलों में सत्ताधारी नेपाली कांग्रेस, नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) , सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) आदि शामिल थे, जो गठबंधन सरकार का हिस्सा है. इन दलों की सरकार बनने की राह चीफ जस्टिस राणा के ही एक फैसले के कारण खुली थी. राणा की अध्यक्षता वाली बेंच ने शेर बहादुर देउबा को सरकार बनाने का आदेश दिया था. इसे न्यायिक इतिहास में अपनी तरह का पहला फैसला माना गया था, जब अदालत ने सरकार बनाने का आमंत्रण किसी नेता को दिया था.

इसके उलट राणा के फैसले से सरकार गंवाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने उनका समर्थन किया है. ओली ने रविवार को कहा कि संसद में महाभियोग प्रस्ताव पारित नहीं हुआ है, इसलिए राणा को काम करने का मौका मिलना चाहिए. उन्हें नजरबंद करना गैरजिम्मेदाराना हरकत है.

पढ़ें- Old Pension Scheme: पंजाब में लागू होगी पुरानी पेंशन योजना, जानिए क्या है ये, जिसकी हर राज्य में हो रही मांग

वकील और निचले जज कर रहे थे लगातार विरोध

राणा के खिलाफ केवल राजनेता ही नहीं हैं बल्कि नेपाली वकील और निचली अदालतों के जज भी उनका विरोध कर रहे हैं. इन सभी का आरोप है कि चीफ जस्टिस लगातार भ्रष्टाचार कर रहे हैं. साल 2021 में इन सभी ने चीफ जस्टिस के विरोध में प्रदर्शन भी किया था और सरकार से उनके सुप्रीम कोर्ट आने पर बैन लगाने की मांग की थी. नेपाल बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने अब भी राणा का विरोध जारी रखने की बात कही है.  

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Chief justice of Nepal Who is Chief justice of Nepal Who Is Cholendra Shumsher Rana Who is sher bahadur deuba nepal news