डीएनए हिंदी: ब्रिटेन के लिसेस्टर शहर (Leicester City) में अगस्त-सितंबर के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और अन्य हिंदुत्ववादी समूहों का हाथ नहीं था. एक ब्रिटिश थिंक टैंक हेनरी जैक्सन सोसाइटी (Henry Jackson Society) ने जांच के बाद उन रिपोर्ट्स को खारिज किया है, जिनमें हिंसा के पीछे RSS और उससे जुड़े हिंदुत्ववादी समूहों का हाथ होने का दावा किया जा रहा है. इन रिपोर्ट में दावा किया गया था कि RSS और अन्य हिंदुत्ववादी समूहों ने उन हिंसक झड़पों में भाग लिया था, जिनसे हिंदू समुदाय को व्यापक पैमाने पर नफरत, बर्बरता और हमले का खतरा था.
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सबूतों के आधार पर किया गया है आकलन
थिंक टैंक की रिसर्च फेलो चार्लोट लिटिलवुड (Charlotte Littlewood) ने इन रिपोर्ट को गलत बताने का आकलन मुस्लिव व हिंदू नागरिकों से बातचीत, सोशल मीडिया पर मौजूद सबूतों, वीडियो सबूतों, पुलिस रिपोर्ट्स और बयानों को एकसाथ जोड़ने के बाद निकले निष्कर्ष के आधार पर किया है. लिटिलवुड ने कहा, किसी भी जांच में यह सामने नहीं आया कि लिसेस्टर में हिंदुत्ववादी समूह संचालित हो रहे थे, बल्कि एक मामूली से सामुदायिक मुद्दे को संगठित हिंदुत्ववादी समूहों की हरकत के तौर पर गलत तरीके से पेश किया गया. चार्लोट ने गौर किया कि ये शोरगुल वाले त्योहारों, असामाजिक व्यवहार और एक दूसरे के प्रति क्षेत्रीय दृष्टिकोण के कारण मुस्लिम और हिंदू युवाओं के बीच हुए संघर्ष से सामुदायिक एकता टूटने का परिणाम था.
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भारत-पाक क्रिकेट मैच से भड़की थी हिंसा
लिसेस्टरशायर में हिंसा 28 अगस्त को एशिया कप टी20 क्रिकेट (Asia Cup T20 Cricket) में भारत-पाकिस्तान (Ind Vs Pak Match) के बीच मैच में भारतीय जीत के बाद भड़की थी. इस हिंसा के बाद 20 सितंबर को एक कथित समुदाय से जुड़ी भीड़ ने 20 सितंबर को ब्रिटेन के बर्मिंघम (Birmingham) शहर के स्मैथविक (Smethwick) इलाके में मौजूद दुर्गा भवन मंदिरा के बाहर हिंसक प्रदर्शन किया था. इससे भी हिंसा भड़क गई थी.
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माइक्रो-कम्युनिटी टकराव थी हिंसा
थिंक टैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, यह हिंसा एक माइक्रो-कम्युनिटी टकराव था, जिसे गलत तरीके से हिंदुत्ववादी समूहों की योजना के तौर पर दिखाया गया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जांच में मिला है कि ब्रिटेन में एक्टिव RSS और अन्य हिंदुत्ववादी समूहों के हिंदू समुदाय को खतरे में डालने के झूठे आरोप भी लगाए गए हैं.
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