डीएनए हिंदी: मालदीव ने भारत के साथ हाइड्रोग्राफिक सर्वे समझौता रद्द कर दिया है. चीन लगातार मालदीव पर दबाव बन रहा है क्योंकि रणनीतिक और सामरिक दृष्टि से यह द्वीपीय देश भारत और चीन दोनों के लिए अहम है. जल विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग और खोज के लिए दोनों देशों के बीच यह महत्वाकांक्षी समझौता हुआ था. हालांकि, चीन परस्त और लगातार भारत के खिलाफ फैसले लेने वाली मोहम्मद मोइज्जू की सरकार ने इसे एकतरफा ढंग से कैंसिल करने का ऐलान कर दिया है. माना जा रहा है कि इस समझौते को रद्द कराने के लिए बीजिंग की तरफ से दबाव बनाया गया है. चीन मालदीव में अपनी सक्रियता लगातार बढ़ा रहा है और बड़े कर्ज और निवेश के जरिए अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिस में है.
मालदीव के नए राष्ट्रपति मोइज्जू ने भारत के खिलाफ इससे पहले भी कुछ फैसले लिए हैं, जो भारत के प्रति उनके अविश्वास को दिखाता है. माइज्जू ने भारत सरकार को मालदीव में मौजूद अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए कहा था. इसके बाद अब उन्होंने भारत सरकार के साथ पहले से चल रहे हाइड्रोग्राफिक सर्वे को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि सर्वे का काम बेहद संवेदनशील है और यह तय किया गया है कि इसमें किसी और देश की भागीदारी नहीं होगी और सर्वे का 100 फीसदी काम अब मालदीव के नेतृत्व में ही होगा.
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5 साल के लिए हुआ था समझौता, मालदीव ने किया रद्द
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालेह के बीच जून 2019 में जल विज्ञान के क्षेत्र में यह समझौता हुआ था. भारत मालदीव के क्षेत्रीय जल का हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने के साथ-साथ समुद्री चट्टानों, लैगून और ज्वार भाटों पर भी सर्वे कर रहा था जिसका इस्तेमाल भविष्य के वैज्ञानिक प्रयोगों में किया जा सकता था. समझौता 5 साल के लिए हुआ था जिसे आगे के लिए रिन्यू किया जा सकता था. हालांकि मोइज्जू प्रशासन ने इसे आगे बढ़ाने के बजाय खत्म कर दिया है.
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6 महीने पहले ही मालदीव ने समझौता खत्म करने का ऐलान किया
मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय के अफसर मोहम्मद फिरोजुल अब्दुल खलील ने समझौता अवधि के 6 महीने पहले ही इसे खत्म करने का ऐलान कर दिया है. नियम के मुताबिक दोनों पक्षों में से किसी को भी अगर समझौते से बाहर निकलना है तो इसकी सूचना 6 महीने पहले देना होगा. मालदीव राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हमारी सरकार ने भारत के साथ 7 जून 2024 को समाप्त होने जा रहे हाइड्रोग्राफी समझौते को रिन्यूअल नहीं करने का फैसला किया है.
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