मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को लेकर संसद में अपडेट दिया. इसके साथ उन्होंने अपनी सरकार की नीति, देश की स्थिति की रूपरेखा और भविष्य के सुधारों को लेकर कई बातें की. हालांकि, राष्ट्रपति के संबोधन का विपक्षी दलों ने बायकॉट किया. संसद में अपने संबोधन के दौरान मुइज्जू ने कहा कि उनका मानना है कि मालदीव के अधिकांश लोग इस उम्मीद के साथ उनकी सरकार का समर्थन करते हैं कि वे देश से विदेशी सैनिकों को हटा देंगे. आइए जानते हैं कि उन्होंने संसद में क्या कुछ कहा है...
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने सोमवार को बताया कि 10 मार्च से पहले भारतीय सैन्यकर्मियों के पहले समूह को भारत वापस भेज दिया जाएगा. इसके साथ उन्होंने बताया कि दो विमानन प्लेटफॉर्म पर काम कर रहे शेष भारतीयों को 10 मई तक वापस भेजा जाएगा. मुइज्जू ने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों ने विदेशी सैनिकों को हटाने और मालदीव के खोए हुए जल क्षेत्र को वापस पाने के लिए सरकार को वोट दिया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को विदेशी सैनिकों को हटाने, खोए हुए क्षेत्र को वापस पाने और देश को नुकसान पहुंचाने वाले समझौतों को रद्द करने के लिए चुना गया था.
मुइज्जू बोले- संप्रभुता से समझौता नहीं
मुइज्जू ने संसद में कहा कि आधिकारिक तौर पर यह भी सूचित किया गया है कि मालदीव उस समझौते को नवीनीकृत नहीं करेगा जो भारत को मालदीव की सीमाओं और समुद्र तल का चार्ट बनाने के लिए पर्याप्त अधिकार देता है. मुइज्जू ने कहा कि उनकी सरकार ऐसे किसी भी राज्य समझौते की अनुमति नहीं देता है, जो देश की संप्रभुता से समझौता करें. जानकारी के लिए बता दें कि 17 नवंबर को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ही मुइज्जू ने भारत से 15 मार्च तक अपने 88 सैन्यकर्मियों को वापस बुलाने की अपील की थी, अन्य देशों के साथ राष्ट्रपति मुइज्जू की कूटनीतिक चर्चाएं भी जारी है.
विपक्षी दलों ने किया बायकॉट
मालदीव की संसद में मुइज्जू के अभिभाषण के दौरान सिर्फ 24 सांसद ही उपस्थित थे. विपक्षी मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) और डेमोक्रेट्स ने सरकार के अलोकतांत्रिक तरीकों के कारण संसद के बहिष्कार का फैसला किया. इनमें डेमोक्रेट के 13 और एमडीपी के 44 सांसद शामिल हैं. सुबह 9:00 बजे बैठक शुरू होने पर केवल 24 सांसद उपस्थित थे. बताया जा रहा है कि इन सांसदों की अध्यक्षता सांसद मोहम्मद असलम ने की.
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