Monkeypox: हो जाएं सावधान, सबसे ज्यादा Homosexual लोगों पर अटैक कर रही है यह बीमारी

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 14, 2022, 02:17 PM IST

बीते हफ्ते विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जानकारी दी थी 28 देशों से मंकीपॉक्स के 1,285 मामले सामने आए थे.

डीएनए हिंदी: ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के 104 नए मामले सामने आए हैं. इसी के साथ इस बीमारी के कुल मामले बढ़कर 470 हो गए हैं. ब्रिटेन की हेल्थ प्रोटेक्शन एजेंसी का कहना है कि इस बीमारी के ज्यादातर मरीज गे या बाईसेक्शुअल हैं. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जो लोग मंकीपॉक्स की चपेट में चुके लोगों के संपर्क में आएंगे उन्हें भी यह बीमारी हो सकती है.

यूके डाटा के मुताबिक इस बीमारी से ग्रसित लोगों में 99 पर्सेंट पुरुष हैं और ज्यादातर केस लंदन में हैं. बीते हफ्ते विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जानकारी दी थी 28 देशों से मंकीपॉक्स के 1,285 मामले सामने आए थे. बीमारी से होने वाली मौत की बात करें तो अफ्रीका के अलावा किसी दूसरे देश से ऐसी खबरें नहीं आई हैं. ब्रिटेन के बाद स्पेन, जर्मनी और कनाडा में इस बीमारी के सबसे ज्यादा मामले हैं.

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क्या है मंकी पॉक्स?

मंकीपॉक्स वायरस(Monkeypox Virus) ऑर्थोपॉक्सवायरस के परिवार से आता है. इसमें वैरियोला वायरस भी शामिल है. गौरतलब है कि वैरियोला वायरस से स्मॉल पॉक्स या छोटी चेचक बीमारी होती है, इसी परिवार के वैक्सीनिया वायरस का इस्तेमाल स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन में होता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक की तुलना में कम गंभीर होते हैं.  स्मॉलपॉक्स या चेचक को टीके के ज़रिए दुनिया भर से 1980 में ख़त्म कर दिया गया था पर कई मध्य अफ्रीकी और पश्चिम अफ्रीकी देश में मंकीपॉक्स के केस अब भी पाए जाते हैं.  

संक्रमण के तरीके और लक्षण 

मंकीपॉक्स(Monkeypox ) का विस्तार जानवरों से मनुष्यों में तो होता है पर मनुष्य से मनुष्य तक का संक्रमण नहीं देखा गया है, हालांकि बॉडी फ्लूइड मसलन स्किन सोर, रेस्पिरेटरी ड्रापलेट, और संक्रमित चीज़ों से भी संक्रमण फ़ैल सकता है. चेचक की तुलना में मंकीपॉक्स का संक्रमण हल्का माना गया है. शरीर पर फफोलों के साथ इसमें बुखार की शिकायत भी होती है. ठण्ड लगना, सरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, फटीग के साथ फोड़े इस बीमारी के अन्य लक्षण हैं. 

1970 में मिला था पहला केस 

मंकीपॉक्स का पहला केस डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो (DRC) में 1970 में मिला था. WHO के मुताबिक़ अबतक चार महादेशों में 15 देशों में इस पॉक्स के  मामले देखे गए हैं. 

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