अमेरिका की एक अदालत ने मुंबई पर हुए 26/11 आतंकवादी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक तहव्वुर राणा को एक बड़ा झटका दिया है. अदालत ने 15 अगस्त को दिए अपने फैसले में कहा कि राणा को भारत-अमेरिका के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के अनुसार उसे भारत भेजा जा सकता है. गौरतलब हो कि मुंबई में हुए इस हमले ने पूरे देश को दहला दिया था. इस हमले में 6 अमेरीकी नागरिक समेत 166 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी.
अमेरिकी कोर्ट ने की थी राणा की याचिका खारिज
'यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर नाइन्थ सर्किट' ने 15 अगस्त 2008 को हुए मुंबई हमलों के संदर्भ में यह फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि अमेरिका आरोपी राणा को भारत को सौंपने की अनुमति देता है. तीन जजों के बेंच जिसमे जज मिलन डी स्मिथ, ब्रिजेट एस बाडे और सिडनी ए फिट्जवाटर शामिल थे. इन तीनों जजों ने माना कि भारत की तरफ से ठोस सबूत पेश किए गए हैं, जिससे ये साबित होता है कि राणा मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में शामिल था. आपको बता दें कि राणा एक पाकिस्तानी मूल के कनाडाई बिजनेसमैन हैं, कुछ दिन पहले ही उसने कैलिफोर्निया की अमेरिकी 'डिस्ट्रिक्ट कोर्ट' ने राणा की बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका को खारिज कर दी थी. इसके बाद राणा ने 'यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर नाइंथ सर्किट' में याचिका दायर की थी.
भारत की एक बड़ी कूटनीति जीत
फिलहाल अमेरिकी जेल में बंद राणा पर मुंबई हमले में शामिल होने का आरोप हैं. उसे आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का करीबी भी माना जाता है. आपको बता दें कि 2008 में हुए मुंबई हमलों में डेविड की भी एक बड़ी भूमिका पाई गई थी. डेविड कोलमैन एक पाकिस्तानी अमेरिकी आतंकवादी है. राणा पर पहले भी कई आतंकवादी संगटन को समर्थन देने का आरोप लग चुका है. डेनमार्क में आतंकवादी हमलों की साजिश को अंजाम देने के लिए भी राणा को दोषी पाया गया था. हालाकि बाद में डेनमार्क में राणा के खिलाफ सबूतों के अभाव के कारण उसे बारी कर दिया गया था. रक्षा मामलों के जानकार बताते हैं की ये फैसला भारतीय जांच एजेंसियों समेत भारत सरकार की कूटनीति का एक बड़ी जीत है.
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