डीएनए हिंदी: म्यांमार की सेना ने फरवरी 2021 में लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू ची की चुनी हुई सरकार को अपदस्थ कर दिया था. इसके बाद से ही स्थानीय नागरिकों पर सेना के दमन की कई घटनाएं हुई हैं. मानवाधिकार समूह ने बताया कि भारतीय सीमा के ठीक दक्षिण में सागांग क्षेत्र के कानन गांव में सोमवाबर सुबह हुए हवाई हमले में 17 लोगों की मौत हो गई है. इनमें कुछ बच्चे भी शामिल हैं 20 लोगों के घायल होने की सूचना है. सैन्य शासन के खिलाफ देश में कहीं भी होने वाले किसी प्रदर्शन या खतरे का बर्बरता से दमन किया जा रहा है. लंबे संघर्ष के बाद लोकतंत्र की वापसी देश में हुई थी लेकिन फिर सेना ने सत्ता अपने हाथ में ले ली. अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने म्यांमार में नागरिकों के दमन पर कई बार चिंता जाहिर की है.
पिछले साल अप्रैल में म्यांमार की सेना के हवाई हमले में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. म्यांमार सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि ये समूह विद्रोह की साजिश कर रहा था जबकि रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि सेना के दमन के विरोध में लोग प्रदर्शन कर रहे थे जिन पर हवाई हमला किया गया. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, सुबह गांव में जब हमला किया गया तो कई बच्चे भी घरों में थे और उनकी इस एयर स्ट्राइक में मौत हो गई है.
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सैन्य शासन के खिलाफ देश भर में हो रहा है विरोध
म्यांमार में लंबे संघर्ष के बाद लौकतं की स्थापना हुई थी लेकिन फरवरी 2021 में सेना ने एक बार फिर तख्ता पलट कर दिया. इसके बाद से पूरे देश में सैन्य शासन के खिलाफ लोगों का आक्रोश देखने को मिल रहा है. बड़े पैमाने पर लोकतंत्र समर्थक नेता या तो नजरबंद हैं या उन्हें जेलों में डाल दिया गया है. विरोध प्रदर्शन के खिलाफ सेना का रुख बेहद आक्रामक है और सख्ती से प्रदर्शनकारियों का दमन किया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी मानवाधिकार हनन पर चिंता जताई है.
2021 से अब तक 3,000 लोगों की हत्या
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तख्ता पलट के बाद तीन हजार से ज्यादा नागरिकों को मारा जा चुका है. इनमें बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. इस साल अप्रैल में जब सेना ने हवाई हमला किया था तो उस दौरान कुछ लोग स्कूल परिसर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए जमा हुए थे. इस हमले में स्कूली बच्चों के मारे जाने का भी दावा किया जाता है. हालांकि, म्यांमार की सेना मानवाधिकार हनन के दावों को नकारती रही है और उनका कहना है कि कार्रवाई सिर्फ राष्ट्रविरोधी ताकतों पर ही की गई है.
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