डीएनए हिंदी: पाकिस्तान में बीते कुछ सालों में राजनीतिक उठापटक लगातार जारी है. चार साल से विदेश में रह रहे नवाज शरीफ अब पाकिस्तान लौट आए हैं. चुनावों की आहट के बीच नवाज शरीफ ने एक बड़ी रैली को भी संबोधित किया. इस दौरान उनके विरोधी इमरान खान जेल में हैं और अनवर उल-हक काकड़ कार्यकारी प्रधानमंत्री के रूप में सरकार चला रहे हैं. पाकिस्तान लौटते ही नवाज शरीफ ने देश की अर्थव्यवस्था, कश्मीर और भारत के साथ रिश्तों पर भी बात की. वह अब भारत के साथ अच्छे रिश्तों की वकालत कर रहे हैं. हालांकि, यह भी सच्चाई है कि उन्हीं के प्रधानमंत्री रहते साल 199 में पाकिस्तान ने कारगिल में भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ा था.
नवाज शरीफ ने अपने देश की बातें करने के साथ-साथ पड़ोसी देश यानी भारत के साथ रिश्तों पर भी बात की. नवाज शरीफ ने इस मौके पर कहा, 'पाकिस्तान बेहद शालीनता के साथ कश्मीर का मुद्दा सुलझाना चाहता है. हम स्वतंत्र और व्यापक विदेश नीति चाहते हैं. हम पड़ोसी देशों के साथ अच्छे रिश्ते कायम करके एक आर्थिक शक्ति बनना चाहते हैं. दूसरों से लड़कर पाकिस्तान का विकास नहीं हो सकता.'
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उन्होंने यह भी कहा कि अगर बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग नहीं हुआ होता तो भारत से होकर गुजरने वाला एक इकोनॉमिक कॉरिडोर होता. हम पाकिस्तान के विकास के लिए दुनिया और पड़ोस के देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करना चाहते हैं. उन्होंने कुछ भावकु होते हुए यह भी कहा कि कैद में रखे जाने की वजह से वह अपनी मां और अपनी पत्नी को विदाई तक नहीं दे पाए.
खराब इकोनॉमी पर जमकर बोले नवाज शरीफ
पाकिस्तान लौटने के कुछ घंटों बाद ही 73 वर्षीय शरीफ ने शनिवार को मीनार-ए-पाकिस्तान पर जमा भारी भीड़ को संबोधित किया. पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) अध्यक्ष ने अफसोस जताया कि मौजूदा आर्थिक संकट की वजह से अब लोगों को यह तय करना पड़ता है कि वह बिजली का बिल जमा करें या फिर अपने बच्चों का भरण-पोषण करे. उन्होंने कहा, 'लोग आत्महत्या कर रहे हैं और बिल जमा करने के लिए पैसे उधार ले रहे हैं. मेरे कार्यकाल के दौरान गरीबों के पास कम से कम अपना इलाज कराने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन तो थे.'
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पूर्व प्रधान मंत्री ने 2017 में अयोग्य घोषित किए जाने की आलोचना करते हुए कहा, 'यह सब शहबाज शरीफ के कार्यकाल में शुरू नहीं हुआ. यह उससे बहुत पहले शुरू हुआ था. अमेरिकी डॉलर के मूल्य जरूरत से ज्यादा बढ़ गए हैं, बिल बढ़ रहे हैं और रोजाना की जरूरत की चीजों के साथ-साथ पेट्रोल के दाम भी बढ़ रहे हैं. हमारे कार्यकाल में चीनी 50 रुपये प्रति किलोग्राम थी, आज 250 रुपये प्रति किलोग्राम है. क्या इसलिए आपने नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल किया था?' शरीफ ने कहा कि अगर पाकिस्तान उनके 1990 के आर्थिक मॉडल पर आगे बढ़ता तो देश में एक भी व्यक्ति बेरोजगार नहीं होता, गरीबी जैसी कोई चीज नहीं होती... लेकिन आज हालात इतने खराब हैं कि सोचना पड़ता है कि अपने बच्चों का पेट भरें या बिजली बिल भरें.
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