अब चीनी 'चाल' में फंसने जा रहा है नेपाल! नहीं चेता तो होगा पाकिस्तान-श्रीलंका जैसा हाल

हिमांशु तिवारी | Updated:Nov 21, 2022, 01:58 PM IST

China and Nepal 

नेपाल अब अपने संसाधनों के लिए चीन के निवेशकों की राह देख रहा है. पर्यटन के क्षेत्र में दोनों देशों भागीदारी बढ़ रही है.

डीएनए हिंदी: पर्यटन और सांस्कृतिक संबंधों में भारत और नेपाल एक दूसरे से बेहद करीब हैं. कहते हैं भारत और नेपाल के साथ बेटी-रोटी का रिश्ता होता है. मगर नेपाल अब धीरे-धीरे अपनी सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए चीन की तरफ आशा की नजरों से देख रहा है. चीन और नेपाल के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 67 वीं वर्षगांठ पर दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बैठक होने वाली है. मगर नेपाल को चीन की विस्तारवादी नीतियों से पहले ही चेत जाना चाहिए. मौजूदा वक्त में कई ऐसे उदाहरण है जो चीनी लालसा को उजागर करते हैं.

नेपाल अब अपने संसाधनों के लिए चीन के निवेशकों की राह देख रहा है. पर्यटन के क्षेत्र में दोनों देशों की भागीदारी बढ़ रही है. कहीं ऐसा न हो कि अब नेपाल की दशा पाकिस्तान और श्रीलंका की तरह हो जाए. पाकिस्तान और श्रीलंका में बड़ा निवेश कर पहले ही उन्हें कर्जदार बना चुका है. इन देशों में चीन ने बड़ा निवेश कर इन दोनों देशों के पर्यटन स्थलों को हथिया चुका है. चीन-पाक आर्थिक गलियारा (CPEC) में करोड़ों खर्च कर चीन ने पाकिस्तान को खुद पर निर्भर कर चुका है. बिजली की आपूर्ति के लिए पाकिस्तान को चीन की तरफ आशा की नजर से देखना पड़ रहा है.

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स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स नीति के तहत श्रीलंका को बनाया कर्जदार

इसके अलावा चीन ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ की नीति के जरिए हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है. बंदरगाहों के नेटवर्क के माध्यम से भारत को घेरने की चीनी रणनीति के तहत श्रीलंका हंबनटोटा पोर्ट भी चीनी मंशा की बली चढ़ गया है. चीन ने श्रीलंका में हंबनटोटा पोर्ट पर भारी निवेश कर श्रीलंका को अपना कर्जदार बना चुका है. ठीक उसी तरह पर्यटन की वैश्विक अर्थव्यवस्था को निगाह में रख कर चीन अब नेपाल की इकॉनमी में सेंधमारी करने के फिराक में है. 

अपनी विस्तारवादी नीति के तहत चीन ने चटगांव (बांग्लादेश), सूडान बंदरगाह, मालदीव, सोमालिया और सेशेल्स में उपस्थिति के बाद ग्वादर बंदरगाह पर चीन अपने नियंत्रण की मंशा व्यक्त कर चुका है.

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नेपाल आने पर्यटकों की संख्या हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है. जिसे देखते हुए चीन के इरादे और भी मजबूत हो रहे हैं. नेपाल और चीन के नए प्लान में एक नया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की योजना पहले से ही चल रही है. नेपाल इस आशा में है कि पर्यटन उद्योग में चीनी निवेश उसकी अर्थव्यवस्था में नए रास्ते खोलेगा. मगर नेपाल को चीन की पिछली करतूतों से चेत जाना चाहिए.

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