Nepal Elections: नेपाल में एक साथ हो रहे हैं संसद और विधानसभा के चुनाव, जानिए सबकुछ

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 20, 2022, 10:03 AM IST

नेपाल में हो रहे हैं चुनाव

Nepal Election News: नेपाल में संसद और विधानसभा के चुनाव के लिए एकसाथ वोटिंग हो रही है. आखिरी परिणाम एक हफ्ते में आएंगे.

डीएनए हिंदी: नेपाल में नई संसद और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए वोटिंग (Nepal Elections) शुरू हो गई है. नेपाल की संसद (Nepal Parliament) की कुल 275 सीटों और प्रांतीय विधानसभाओं की 550 सीटों के लिए एकसाथ वोटिंग हो रही है. नेपाल के नागरिकों को उम्मीद है कि लंबे समय से देश में जारी राजनीतिक अस्थिरता खत्म हो सकेगी. देश के सात प्रांतों में 1.79 करोड़ से ज़्यादा मतदाता अपने वोटिंग अधिकार का इस्तेमाल करेंगे. स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, नेपाल में कुल 22,000 से ज़्यादा मतदान केंद्रों पर सुबह 7 बजे से वोटिंग शुरू हो गई है. संसदीय चुनाव के लिए 2,412 उम्मीदवार मैदान में हैं.

नेपाल में वोटिंग खत्म होने के तुरंत बाद ही मतों की गिनती शुरू हो जाएगी. चुनाव के अंतिम परिणाम आने में एक हफ्ते का समय लग सकता है. नेपाल में संघीय संसद की 275 सीटों और सात राज्यों की विधानसभाओं की 550 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. नेपाल के सात प्रांतों में 1.79 करोड़ से ज़्यादा लोग मतदान के लिए पात्र हैं. नेपाल की संघीय संसद के कुल 275 सदस्यों में से 165 सदस्य फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम के जरिए चुने जाएंगे. वहीं, 110 सदस्य आनुपातिक चुनाव प्रणाली के माध्यम से चुना जाएगा.

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नेपाल में अलग है चुनाव का सिस्टम
सात राज्यों की विधानसभाओं के कुल 550 सदस्यों में से 330 फर्स्ट पास्ट द पोस्ट के ज़रिए जबकि 220 आनुपातिक प्रणाली से चुने जाएंगे. एक बार फिर अनुमान जताया जा रहा है कि नेपाल में त्रिशंकु संसद होगी और चुनाव के बाद भी स्थिरता नहीं मिल पाएगी. नेपाल में करीब एक दशक तक रहे माओवादी उग्रवाद खत्म होने के बाद से ही संसद में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है. 2006 में गृह युद्ध खत्म होने के बाद से कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. नेतृत्व में बार-बार बदलाव और राजनीतिक दलों के बीच आपसी विवाद को देश के धीमे आर्थिक विकास का कारण बताया जाता है.

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कैसे वोट डालते हैं नेपाल के लोग?
नेपाल में वोटिंग के लिए हर मतदाता को चार बैलट दिए जाते हैं. ये सभी बैलट पेपर अलग-अलग बॉक्स में डाले जाते हैं. इनमें से दो-दो बैलट पेपर संसदीय चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिए होते हैं. इनमें से हर चुनाव के लिए, एक-एक पर फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम और दूसरे पर रेप्रजेंटेशनल वोटिंग के ज़रिए वोटिंग करनी होती है. हर पार्टी को मिलने वाले वोटों की संख्या के हिसाब से ही सीटों की संख्या तय होगी. रेप्रेंजेटेशनल सिस्टम के तहत ज़्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी सरकार बनाएगी.

आपको बता दें कि 1990 से लेकर अभी तक नेपाल में 32 सरकारें बदल चुकी हैं. साल 2008 के बाद से ही अभी तक 10 बार सरकार बदल चुकी हैं. नेपाल के निर्वाचन आयोग ने सभी 77 जिलों में चुनाव कराने के लिए 2,76,000 कर्मचारियों को तैनात किया है. शांतिपूर्ण मतदान के लिए करीब तीन लाख सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. संघीय संसद के लिए चुनाव लड़ने वाले कुल 2,412 उम्मीदवारों में से 867 निर्दलीय हैं.

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नेपाल के चुनावी मैदान में दो प्रमुख राजनीतिक गठबंधन हैं. सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाला लोकतांत्रिक और वामपंथी गठबंधन. दूसरा है सीपीएन-यूएमएल (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्ससिस्ट-लेनिनिस्ट) के नेतृत्व वाला वामपंथी, हिंदू और राजशाही समर्थक गठबंधन. अगली सरकार के सामने एक स्थिर राजनीतिक प्रशासन बनाए रखने, टूरिज़म इंडस्ट्री को रिवाइव करने और अपने पड़ोसियों चीन, भारत के साथ संबंधों को संतुलित करने जैसी चुनौतियां होंगी.

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