डीएनए हिंदी: गिलगित-बाल्टिस्तान में दाने के लाले पड़ गए हैं और लोग प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर गए हैं. कुछ दिन पहले पूरे पाकिस्तान में बिजली बिल को लेकर लोग प्रदर्शन कर रहे थे. पाकिस्तान में चुनाव से पहले जरूरी चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं. लोगों के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना भी मुश्किल है. ऐसे हालात में सरकार ने गेंहू की कीमतें बढ़ा दी हैं और इसके खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हो रहा है. गिलगिट-बालटिस्तान के सभी जिलों में बढ़ी हुई कीमतों के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर गए. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इतिहास के सबसे खराब दौर से गुजर रही है और महंगाई, बेरोजगारी के साथ काला बाजारी भी बड़ी परेशानी का सबब है. चुनाव से पहले जनता का सब्र जवाब दे रहा है.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गर्त में पहुंच गई है और देश कर्ज के भयानक मकड़जाल में फंसा हुआ है. हालात इतने खराब हैं कि पाकिस्तानी सरकार को अब दूसरे देशों ने कर्ज देने से साफ इनकार कर दिया है. पिछले दिनों बिजली के दाम बढ़ाए गए थे और लोगों के घर हजारों रुपये का बिजली बिल पहुंच रहा था. जनता के भारी विरोध के बाद सरकार को आदेश वापस लेना पड़ा था. अब सड़कों पर हजारों की संख्या में स्थानीय नागरिक गेंहू की कीमतों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं.
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एक महीने से चल रहा है पाकिस्तान में प्रदर्शन
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले एक महीने से ज्यादा समय से प्रदर्शन चल रहा है. व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों और होटल मालिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले संघों के परामर्श पर अवामी एक्शन कमेटी (AAC) ने हड़ताल बुलाई थी. सब्सिडी वाले गेहूं की कीमत बढ़ाने के सरकार के फैसले के खिलाफ पिछले एक महीने से प्रदर्शन चल रहा है. गिलगिट-बालटिस्तान के अलावा देश के दूसरे हिस्सों में भी महंगाई के खिलाफ आम जनता सड़कों पर उतर गई है.
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गिलगिट-बालटिस्तान के साथ सरकार कर रही है भेदभाव
गिलगिट-बालटिस्तान के साथ पाकिस्तान की सरकार के भेदभाव करने के आरोप लगते रहते हैं. कई स्थानीय संगठनों का कहना है कि सरकार सार्वजनिक सुविधाओं और राष्ट्रीय संसाधनों का वितरण असमान ढंग से करती है. पाकिस्तान का यह इलाका आर्थिक तौर पर भी पिछड़ा हुआ है और यहां बिजली संकट भी है. स्थानीय मीडिया के मुताबिक, इस इलाके में 22 घंटे बिजली नहीं रहती है और लोग कृषि के लिए पुराने तरीकों पर ही निर्भर हैं.
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