Pakistan Economic Crisis: आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान की हालत और ज्यादा खराब होने जा रही है. दरअसल बुरी तरह कर्ज में डूबे पाकिस्तान ने चीन से भी 2 अरब डॉलर का कर्ज लिया हुआ है, जिसे वह चुकाने की स्थिति में नही है. स्थानीय मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, डॉलर की अधिक मांग की आशंका के चलते पाकिस्तान का मुद्रा बाजार तनाव में आ गया है. ऊपर से चीन उस पर 1.8 अरब डॉलर वापस लौटाने का दबाव बना रहा है. डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) मार्च में चीन का कर्ज चुकाने के लिए 1.8 अरब डॉलर का इंतजाम करने की कवायद से जूझ रहा है.
ये भी पढ़ें- रूस कब परमाणु हथियारों का करेगा इस्तेमाल? सीक्रेट दस्तावेज से खुली पुतिन की पोल, चीन का भी जिक्र
बची हुई राशि, देश में आने वाले पैसे से ज्यादा
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, चीन के कर्ज का भुगतान करने के लिए स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान को अब तक 1.8 अरब डॉलर के बराबर स्थानीय करेंसी नहीं दी गई है. सूत्रों ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीने के दौरान विदेशी निवेश के लिए ज्यादा निकासी की गई है. इसके बावजूद बची हुई रकम देश में आने वाले पैसे से ज्यादा है. डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने पाकिस्तान को 80 करोड़ डॉलर के बराबर स्थानीय मुद्रा दी थी, जिसे पाकिस्तान केंद्रीय बैंक चुकाने में असमर्थ है.
ये भी पढ़ें- 'Thank You PIA' लिखकर क्यों गायब हो रहीं पाकिस्तान की एयर होस्टेस, होटल में मिली यूनिफॉर्म
विदेशी मुद्रा भंडार को 8 अरब डॉलर से ऊपर बनाए रखने की कोशिश
जानकारी के मुताबिक, विनिमय दर को एक लेवल पर सुनिश्चित रखने के लिए स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान अपने विदेशी मुद्रा भंडार को आठ अरब डॉलर से ऊपर बनाए रखने की कोशिश कर रहा है. साथ ही उस पर कर्ज का भुगतान, बहिर्प्रवाह और अन्य बकाया राशियों के भुगतान का भी दबाव बना हुआ है.
ये भी पढ़ें- कौन हैं पाकिस्तान की पहली महिला CM Maryam Nawaz, पिता के पीएसओ से की है शादी
वित्त वर्ष 2024 के शुरुआती सात महीने के दौरान चालू खाता घाटा एक अरब डॉलर का था, जो पिछले साल उसी तारीख को 3.8 अरब डॉलर था. हालांकि, बढ़ते आयात के कारण इस वित्त वर्ष के अंत तक यह घाटा बेहद ऊंचे स्तर तक पहुंचने की आशंका है.
कर्जदाताओं को और ज्यादा कर्ज देने के लिए मनाना आसान नहीं
वित्तीय क्षेत्र से जुड़े जानकारो के मुताबिक, पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और अन्य कर्ज देने वाली एजेंसियों को छोड़कर कहीं से भी डॉलर जमा करने का कोई तरीका नहीं मिल रहा है. हालांकि, डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक कर्जदाताओं को भी अब और कर्ज देने के लिए मनाना आसान नहीं होगा.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.