26 साल तक बिना किसी संविधान के चल रहा था पाकिस्तान, जिन्ना के सपने को भी दी तिलांजलि

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jan 26, 2023, 03:27 PM IST

Mohammad Ali Jinnah ने पाकिस्तान को सेक्युलर मुल्क बनाने का सपना देखा था लेकिन पाकिस्तान बाद में इस्लामिक राष्ट्र बन गया.

डीएनए हिंदी: भारत और पाकिस्तान एक साथ आजाद हुए थे. भारत आज विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तो वहीं पाकिस्तान अपने इतिहास की सबसे बड़ी आर्थिक महामारी का सामना कर रहा है. मुल्क दिवालिया होने की कगार पर आ गया है. इस बदहाली की एक बड़ी वजह नियम कानून यानी संविधान भी है. आज जहां भारत अपने गणतंत्र दिवस की 74वीं वर्षगांठ मना रहा है तो दूसरी ओर पाकिस्तान बर्बादी के मुहाने पर हैं. भारत की आजदी के तीन वर्षों के अंदर ही संविधान 26 जनवरी 1950 में लागू कर दिया था लेकिन पाकिस्तान में अंधेरी नगरी थी. 

बता दें कि भारत और पाकिस्तान दोनों के पास एक ही तरह की राजनीतिक विरासत थी. दोनों ने ब्रिटेन की संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनाया था. पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने भी नेहरू की तरह अपने सभी नागरिकों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता का सपना देखा था लेकिन उनकी मृत्यु के बाद बाद पाकिस्तान अंधेरों में घिरता चला गया. 

खुले बाजार में गेहूं क्यों बेच रही है भारत सरकार, कहीं पाकिस्तान जैसा खतरा तो नहीं आ रहा?

संविधान लागू करने में लगा 26 साल का समय

भारत में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ था. 1947 में पाकिस्तान बनने के नौ साल बाद वहां पहला संविधान 23 मार्च, 1956 को लागू किया गया था. 23 मार्च 1956 को पाकिस्तान के पहले संविधान को अपनाया गया था. इसलिए पाकिस्तान के पहले संविधान के पारित होने के उपलक्ष्य में वहां हर साल 23 मार्च को ही पाकिस्तान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन ही आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान को एक इस्लामी देश भी घोषित किया गया था लेकिन इसके संविधान में लगातार बदलाव होते रहे और यह लंबे वक्त तक अराजकता के आधीन ही रहा. 

बता दें कि 1956 के बाद 1962 में, 26 मार्च 1969 में पाकिस्तान के संविधान में बदलाव किए गए. इसके बाद मुल्क में 1970 के संवैधानिक संकट ने इस काम को और प्रभावित किया. पूर्वी पाकिस्तान के विभाजन के बाद 1972 को 1970 के चुनाव के आधार पर विधायिका बनाई गई और 10 अप्रेल 1973 को समिति ने संविधान के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश की. फिर 14 अगस्त 1973 को पाकिस्तान में नया संविधान लागू किया गया.

कर्तव्य पथ पर उतरे 'परमवीर' योगेंद्र यादव, मुस्कान देख पानी-पानी हो गया दुश्मन

बर्बादी में निभाई अहम भूमिका

ऐसे में आजादी के ढाई दशक में जब पाकिस्तान तीन युद्ध लड़ा और आर्थिक तौर पर कमजोर होता गया तो उसके पास अपना कोई संविधान नहीं था. इसके चलते ही देश में भ्रष्टाचार से लेकर अराजकता ने पांव पसार लिए. अगर यह कहा जाए कि पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति में उन ढाई दशकों की अहम भूमिका थी तो शायद यह कुछ गलत बात नहीं होगी. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.