Pervez Musharraf के दादा का चलता था दिल्ली के टैक्स पर हुक्म, यहां की नहर वाली हवेली से भी था खास नाता

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 05, 2023, 04:42 PM IST

Pervez Musharraf की दिल्ली के दरियागंज स्थित नहर वाली हवेली.

Pervez Musharraf Died: परवेज मुशर्रफ भले ही पाकिस्तान के तानाशाह रहे, लेकिन उनका जन्म दिल्ली में हुआ था. उनकी पैतृक हवेली आज भी है.

डीएनए हिंदी: Pervez Musharraf News- पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) ने रविवार को दुबई में आखिरी सांस ली. मुशर्रफ भले ही भारत के दुश्मन रहे हों और कारगिल का युद्ध उनके दिमाग की ही उपज था, लेकिन दिल से उनका भारत और खासतौर पर राजधानी दिल्ली के साथ खास नाता भी था. परवेज मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त, 1943 को पुरानी दिल्ली (Old Delhi) के दरियागंज (Dartaganj) इलाके की नहर वाली हवेली (Nahar Wali Haweli) में हुआ था, जो आज भी मौजूद है. उनके दादा दिल्ली के टैक्स कलेक्टर रहे थे. दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि दिल्ली में टैक्स वसूली मुशर्रफ के दादा के इशारे पर ही होती थी.

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चार साल की उम्र में पाकिस्तान गए थे मुशर्रफ

मुशर्रफ का परिवार आजादी के समय देश का बंटवारा होने पर पाकिस्तान शिफ्ट हो गया था. उस समय मुशर्रफ महज 4 साल के थे. वहां वे फौज में अफसर बने और धीरे-धीरे पहले पाकिस्तान सेना प्रमुख और फिर वहां की सरकार का तख्ता पलटकर सैन्य तानाशाह बने. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति बनकर अपनी तानाशाही को संवैधानिक दर्जा दिलाने की भी कोशिश की. हालांकि सत्ता के इस सफर में भी वे दिल्ली को कभी नहीं भूले. साल 2001 में जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के आमंत्रण पर मुशर्रफ भारत दौरे पर आए तो अपनी पुश्तैनी हवेली देखने दरियागंज पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने हवेली में रहने वाले अपने रिश्तेदारों से मुलाकात भी की थी. कहा जाता है कि हवेली पहुंचने पर मुशर्रफ भावुक हो गए थे और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे थे.

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विरासत में मिली थी अफसरशाही

मुशर्रफ को अफसरशाही विरासत में मिली थी. उनके दादा दिल्ली में टैक्स कलेक्टर रहे, जबकि उनके नाना जज थे. मुशर्रफ के पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएश करने के बाद ब्रिटिश राज में सिविल सर्वेंट बन गए थे. बाद में पाकिस्तान जाने पर वे वहां पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय में बड़े नौकरशाह बने. मुशर्रफ के पिता साल 1949 में पाकिस्तान के तुर्की दूतावास में तैनात हुए और वहां करीब 9 साल रहे. इसके चलते मुशर्रफ और उनके भाइयों को तुर्की भाषा भी आती थी. मुशर्रफ की मां जरीन लखनऊ की थीं, लेकिन उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में की थी. 

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मुशर्रफ 3 भाइयों में दूसरे नंबर पर थे

मुशर्रफ के दो भाई और थे. उनसे बड़े भाई डॉ. जावेद मुशर्रफ रोम में रहते हैं और इकोनॉमिस्ट के तौर पर पहचाने जाते हैं. उनके छोटे भाई डॉ. नावेद अमेरिका के इलिनोइस शहर में डॉक्टर हैं. 

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साल 1961 में फौज में शामिल हुए मुशर्रफ

मुशर्रफ ने कराची के सेंट पैट्रिक स्कूल से पढ़ाई की और फिर लाहौर के फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद महज 18 साल की उम्र में मुशर्रफ पाकिस्तानी फौज में साल 1961 में शामिल हुए. साल 1964 में उन्हें पाकिस्तानी सेना की तोपखाना रेजिमेंट में कमांडेंट बनाया गया. साल 1998 में जनरल बनने के बाद उन्होंने सेना प्रमुख बनते ही साल 1999 में कारगिल युद्ध को अंजाम दिया. इसके बाद नवाज शरीफ की सरकार का तख्ता पलट कर वह पाकिस्तान के तानाशाह बन गए.

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महाभियोग प्रस्ताव के बाद छोड़ा राष्ट्रपति पद

20 जून, 2001 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने मुशर्रफ के खिलाफ 7 अगस्त, 2008 को संसद में महाभियोग प्रस्ताव आया. इसके बाद 11 अगस्त को महाभियोग की कार्यवाही शुरू की गई. इस दिन मुशर्रफ का 65वां बर्थडे भी था. इसके 7 दिन बाद मुशर्रफ ने खुद ही राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. बाद में उनके खिलाफ जांच हुई. इसमें उन्हें देशद्रोह का दोषी माना गया और मृत्युदंड घोषित किया गया. हालांकि पाकिस्तानी सेना के दबाव में उन्हें देश से निर्वासित कर दिया गया. इसी निर्वासन में मुशर्रफ ने रविवार को आखिरी सांस ली.

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