डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया में आयोजित जी-20 सम्मेलन (G-20 Summit) में शामिल होने के लिए बाली में हैं. G-20 सम्मेलन में अपने पहले भाषण के दौरान उन्होंने रूस और यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के साथ-साथ ऊर्जा प्रतिबंधों पर भी अपनी बात रखी. यूक्रेन युद्ध के बारे में पीएम मोदी ने कहा कि सीजफायर और कूटनीति का रास्ता ही अपनाना होगा. उर्जा प्रतिबंधों के मामले पर पीएम मोदी ने अमेरिका और यूरोप को नसीहत देते हुए कहा कि एनर्जी सप्लाई पर किसी भी तरह के प्रतिबंधों को लेकर बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही रूस कई तरह के प्रतिबंध झेल रहा है.
ऊर्जी के मुद्दे पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कहा, 'भारत की ऊर्जा सुरक्षा दुनिया की तरक्की के लिए ज़रूरी है क्योंकि भारत दुनिया की सबसे तेज विकसित होती अर्थव्यवस्था है. हमें ऊर्जा की सप्लाई पर किसी भी तरह के प्रतिबंधों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. ऊर्जा के मार्केट में स्थिरती सुनिश्चित की जानी चाहिए. भारत स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण के प्रति समर्पित है.'
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उन्होंने आगे कहा, 'साल 2030 तक भारत में बिजली का आधा उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से होगा. तय समय-सीमा, वित्तीय सहायता और टेक्नोलॉजी की सप्लाई विकसित देशों में ऊर्जा के क्षेत्र के विकास के लिए बेहद ज़रूरी है.' खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर पीएम मोदी ने कहा, 'आज की खाद की समस्या आने वाले समय में खाद्य समस्या बन जाएगी और दुनिया के पास उसका कोई हल नहीं होगा. हमें सप्लाई चेन बनाए रखने के लिए आपसी सहमति बनानी होगी.'
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'शांति के रास्ते पर चलने की बारी हमारी'
रूस-यूक्रेन के युद्ध के मसले पर पीएम मोदी ने कहा, 'मैंने बार-बार कहा है कि हमें यूक्रेन में सीजफायर और कूटनीति का रास्ता तलाशना होगा. दूसरे विश्व युद्ध ने दुनिया में बहुत तबाही मचाई. उसके बाद दुनिया भर के नेताओं ने शांति के रास्ते पर चलने का गंभीर प्रयास किया. अब बारी हमारी है. कोरोना काल के बाद नई दुनिया बनाने की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है. अभी की ज़रूरत यह है कि हम सामूहिक और मजबूत प्रयास करके शांति और सुरक्षा स्थापित करें. हमें भरोसा है कि जब G-20 सम्मेलन बुद्ध और गांधी की धरती (भारत में) पर होगा तो हम दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए हम एक मजबूत संदेश दे सकेंगे.'
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