डीएनए हिंदी: विरोध प्रदर्शनों के दौरान स्वीडन में एक दक्षिणपंथी नेतास्ट्रैम कुर्स रासमस पलुदान ने इस्लाम की सबसे पवित्र पुस्तक कुरान जला दी. अब यह विवाद बढ़ता ही जा रहा है. कुराने जलाने को लेकर अब स्वीडन पर इस्लामिक देश आक्रामक हो गए हैं. उन्होंने यह तक कहा है कि 150 करोड़ मुसलमानों को परेशान न दिया जाए. स्वीडन के खिलाफ तुर्की, पाकिस्तान, सऊदी अरब समेत अन्य देशों ने मोर्चा खोल दिया है.
इस्लामिक अस्मिता को लेकर सबसे आगे खड़े रहने वाले पाकिस्तान ने कुरान जलाने पर कहा कि इस तरह के काम दुनिया में मौजूद 1.5 अरब मुस्लिम लोगों के धार्मिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचाते हैं. पाकिस्तान का कहना है कि इस तरह की चीजें फ्रीडम ऑफ स्पीच के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है. फ्रीडम ऑफ स्पीच में बहुत सारी चीजें इंटरनेशनल हू मिटेरियन से जुड़ी हुई होती है. पाकिस्तान ने कहा कि इस्लाम शांति का धर्म है और हम दुनिया में जितने लोग मुस्लिम से अलग धर्म से जुड़ें हुए हैं, उनका आदर और सम्मान करते हैं.
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इस्लामिक देशों ने बोला हमला
वहीं तुर्की के विदेश मंत्रालय ने भी इस मुद्दे पर बयान जारी कर कहा है कि हमारी बार-बार की चेतावनी के बावजूद आज (21 जनवरी) स्वीडन में हमारे पवित्र ग्रंथ कुरान पर हमला हुआ. हम इसकी कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करते हैं फ्रीडम ऑफ स्पीच की स्वतंत्रता की आड़ में मुसलमानों को टारगेट करने और हमारे पवित्र मूल्यों का अपमान करने वाले इस इस्लाम विरोधी एक्ट की अनुमति देना पूरी तरह से गलत है.
वहीं कुवैत के विदेश मंत्री शेख सलेम अब्दुल्ला अल जबेर अल सबाह ने कहा कि यह घटना दुनिया भर में मुसलमानों की भावनाओं को आहत करती है और गंभीर उकसावे का प्रतीक है. सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सऊदी अरब संवाद, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व के मूल्यों को फैलाने का अनुरोध करता है और नफरत और उग्रवाद को खारिज करता है.
इसके अलावा कतर ने पवित्र कुरान को जलाने की स्वीडिश अधिकारियों की अनुमति की निंदा की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से घृणा और हिंसा को अस्वीकार करने के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निभाने का अनुरोध किया. वहीं ईरान ने कहा है कि इसे मुसलमानों के खिलाफ नफरत और हिंसा भड़काने का प्रयास बताया है. कुछ यूरोपीय देशों ने बोलने की आजादी की वकालत करने के झूठे फैलाने के तहत चरमपंथी और कट्टरपंथी तत्वों को इस्लामी मूल्यों और मूल्यों के खिलाफ नफरत फैलाने की अनुमति दी है.
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क्यों हुआ यह पूरा विवाद
बता दें कि स्वीडन नाटो में शामिल होने की कोशिश में हैं और इसको लेकर तुर्की विरोध में हैं. अब स्वीडन के लिए दिक्कत की बात यह है कि नाटो में शामिल होने के लिए सभी सदस्य देशों का समर्थन आवश्यक है. ऐसे में तुर्की के खिलाफ स्वीडन में तुर्की दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे और इस दौरान ही एक नेता ने कुरान जला दी थी.
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