'पप्पू नहीं हैं Rahul Gandhi' यूएस में किसने और क्यों कहा नेता विपक्ष के लिए ये जुमला

Written By अनामिका मिश्रा | Updated: Sep 09, 2024, 12:36 PM IST

कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने सोमवार को राहुल गांधी को लेकर एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी कोई पप्पू नहीं हैं.

कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने सोमवार को राहुल गांधी के खिलाफ विपक्ष के 'पप्पू' वाले बयान का जवाब दिया और दावा किया कि उनके पास भाजपा द्वारा प्रचारित किए जाने वाले विचारों के विपरीत एक दृष्टिकोण है. टेक्सास में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए पित्रोदा ने कहा, 'राहुल गांधी के पास भाजपा द्वारा करोड़ों रुपये खर्च करके प्रचारित किए जाने वाले विचारों के विपरीत एक दृष्टिकोण है. मैं आपको बता दूं कि राहुल गांधी कोई पप्पू नहीं हैं.' 

कांग्रेस नेता ने कही ये बात 
पित्रोदा ने कहा, 'वह उच्च शिक्षित, पढ़े-लिखे, किसी भी विषय पर गहरी सोच रखने वाले रणनीतिकार हैं और कभी-कभी उन्हें समझना बहुत आसान नहीं होता है.' 'राहुल गांधी का एक अलग एजेंडा है, जो उस चीज पर अधिक केंद्रित है जिसे हम लंबे समय से संबोधित करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ठीक से संबोधित नहीं कर पाए हैं और वह है समावेश, विविधता का उत्सव.' 

तीन दिन के दौरे पर राहुल गांधी
उन्होंने कहा, 'जब राहुल गांधी पिछली बार न्यूयॉर्क में एक बड़ी बैठक में हमसे मिलने आए थे, तो उनसे डलास आने की मांग की गई थी और उन्होंने उनसे वादा किया था कि उनकी अगली यात्रा के दौरान डलास आएंगे और वह अपना वादा निभा रहे हैं. वह अपनी बात पर खरे उतरते हैं और मुझे खुशी है कि अपने व्यस्त कार्यक्रम से वह तीन दिन की छुट्टी लेकर हमसे मिलने आए हैं, जहां वह एक दिन डलास और दो दिन वाशिंगटन डीसी में बिता रहे हैं.'


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महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित
पित्रोदा के पिछले बयानों ने अकसर भाजपा को कांग्रेस की आलोचना करने का अवसर प्रदान किया है. एक उदाहरण में उन्होंने टिप्पणी की कि मंदिर भारत की बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं का समाधान नहीं करेंगे. राहुल गांधी ने केवल धार्मिक मामलों पर ध्यान देने के बजाए इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया. इसके अतिरिक्त, 1984 के सिख विरोधी दंगों और पुलवामा हमलों के बाद बालाकोट हवाई हमलों पर पित्रोदा की विवादित टिप्पणियों की काफी आलोचना हुई है. 

हवाई हमलों के बारे में संदेह
मई 2019 में, जब उनसे 1984 के दंगों के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब दिया 'हुआ तो हुआ' (तो क्या हुआ), जबकि फरवरी 2019 में उन्होंने हवाई हमलों की प्रभावशीलता के बारे में संदेह जताया. यह सुझाव देते हुए कि सैन्य कार्रवाई के साथ प्रतिक्रिया करना दुनिया से निपटने के लिए सबसे उपयुक्त दृष्टिकोण नहीं हो सकता है.
 

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