डीएनए हिंदी: चीन और पाकिस्तान (China-Pakistan Realtion) के बीच सीपैक (CPEC) काफी महत्वकांक्षी योजना रही है लेकिन यह योजना ही पाकिस्तान और चीन के बीच खटास की वजह बनती जा रही है. ग्वादर के पास परियोजना के लिए काम कर रहे चीनी कर्मचारियों को अलगाववादियों का सामना करना पड़ रहा है और कई कर्मचारी तो भागे भी हैं. इतना हीं नहीं, अब पाकिस्तान के पास पैसा भी नहीं है और यह पैसा मुसीबत बना हुआ है. चीन चाहता है कि सीपैक का काम अफगानिस्तान तक जाए लेकिन परियोजना यह काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है.
दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) ने यह शपथ ली थी कि वे स्वयं चाहते हैं कि वे सीपैक की अफगानिस्तान तक मौजूदगी बढ़ाएं. हालांकि पाकिस्तान में पैसे की कमी हो गई है जिसके चलते CPEC परियोजना लंबे समय से रुकी हुई है. वहीं, पाकिस्तान की व्यवस्थाओं से चीन नाराज है जिसके कारण चीन के लिए अफगानिस्तान में अपनी मल्टी-बिलियन परियोजना का विस्तार करने में देरी हो रही है और इसके चलते ही शी जिनपिंग पाकिस्तान से नाराज हैं.
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आपको बता दें कि चीन की नजरें अफगानिस्तान के खनिज पर हैं जो अभी भी छिपे हुए हैं. इसी के लिए चीन पाकिस्तान से होते हुए अपनी परियोजना को अफगानिस्तान तक ले जाना चाहता है. चीन को CPEC का विस्तार अगर अफगानिस्तान तक करना है तो उसे पहले पाकिस्तान में मौजूद सुरक्षा समस्याओं को सुधारना होगा क्योंकि तालिबान शासित अफगानिस्तान में भी पाकिस्तान और चीन को मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है.
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इसके अलावा पाकिस्तान और चीन के लिए तालिबान विरोधी इस्लामी संगठन भी चुनौती हैं. ऐसे में इन सभी परिस्थितियों से निपटने में पाकिस्तान पैसे की कमी से जूझ रहा है और इसके चलते सीपैक का काम रुका हुआ है. ऐसे में नाराज चीन ने कुछ पाकिस्तान से जुड़ी योजनाओं पर भी ब्रेक लगा रखा है जिससे पाकिस्तान में रेलवे से लेकर बिजली उत्पादन तक में समस्या आ रही है. हाल की मीटिंग में पाकिस्तान ने चीन के सामने यह मुद्दा उठाया भी था लेकिन चीन की नजरें फिलहाल अफगानिस्तान के बहुमूल्य खनिज पर हैं.
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