UK Election : Rishi Sunak की कंजर्वेटिव पार्टी से बागी हुए 78 सांसद, ब्रिटेन की राजनीति में इस हलचल का क्या होगा असर

Written By सुमित तिवारी | Updated: May 26, 2024, 08:10 PM IST

UK Election Rishi Sunak : 4 जुलाई को ब्रटेन में होने वाले आम चुनाव की तैयारियां जोरों पर है. लेकिन चुनाव से पहले ऋषि सुनक (Rishi Sunak) की कंजर्वेटिव पार्टी (Conservative Party) को बड़ा झटका लगा है. पार्टी के लगभग 78 सांसदों ने पार्टी से बगावत कर अपना रास्ता अलग कर लिया है.

UK Election Rishi Sunak : ब्रिटेन में आम चुनावों की घोषणा हो चुकी है. जल्द ही यहां की संसद भी भंग कर दी जाएगी. ब्रटेन में 4 जुलाई को आम चुनाव होने हैं. लेकिन आम चुनाव से पहले ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी (Conservative Party) को बड़ा झटका लगा है. मीडिया रिपोर्ट की माने तो हाल ही में पार्टी के  78 सांसद बागी हो गए हैं और उन्होंने फिर से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है. 


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सांसदों को सता रहा है हारने का डर

मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले ब्रिटेन में इस सियासी हलचल से कंजर्वेटिव पार्टी  (Conservative Party) को नुकसान हो सकता है. खबर ये भी सामने आ रही है कि इन सांसदों का अचानक पार्टी को छोड़ने के पीछे उन्हें 4 जुलाई को होने वाले आम चुनाव में हार का डर सता रहा है. यही वजह है कि उन्होंने मतदान से पहले ही पार्टी से दूरियां बना ली है.


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सांसदों के पार्टी छोड़ने से क्या सुनक (Rishi Sunak) को होगा नुकसान

ब्रिटेन की सत्ता में तेजी से उभर रही विपक्षी लेबर पार्टी इस बार का चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगा रही है. इस बार ऋषि सुनक (Rishi Sunak) की कंजर्वेटिव पार्टी को विपक्षी लेबर पार्टी से हारने का डर सता है. पिछले दशक में ऐसा पहली बार है कि कंजर्वेटिव पार्टी की ये स्थिति बनी हुई है. इस गंभीर मौके पर पार्टी के वरिष्ठ सांसदों का पार्टी को अलविदा कहना चुनावी दौर में पार्टी के लिए और संकट खड़े कर सकता है. 

विपक्ष ने खेला अर्थव्यवस्था पर दांव

इन सब के बीच चुनावी प्रचार को छोड़ ऋषि सुनक ने एक दिन की छुट्टी ली थी. बताया जा रहा है, एक दिन की छुट्टी लेकर ऋषि सुनक (Rishi Sunak) अपने चुनाव प्रचार अभियान को रीसेट करना चाह रहे थे, जिसे ब्रिटिश पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स ने हास्यास्पद बताया है. वहीं ऋषि सुनक के मुख्य प्रतिद्वंदी और लेबर पार्टी के नेता 'कीर स्टार्मर' का चुनावी अभियान इस बात पर केन्द्रित है, कि कंजर्वेटिव पार्टी ने कैसे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है.

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