डीएनए हिंदी: यूक्रेन और यूरोपीय यूनियन रूस के जनमत संग्रह (Referendum) का विरोध कर रहे हैं. तमाम विरोधों के बावजूद रूस ने ऐलान कर दिया है कि अब यूक्रेन के ये चारों इलाके रूस का हिस्सा बनाए जाएंगे. इससे पहले, रूस ने ऐलान किया था कि यूक्रेन के जिन चार इलाकों में जनमत संग्रह कराया गया था वहां के लोगों ने रूस में शामिल होने का फैसला लिया है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने जानकारी दी है कि कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक आधिकारिक कार्यक्रम में शामिल होंगे, जिसमें इन क्षेत्रों को औपचारिक तौर पर रूस में शामिल कर लिया जाएगा.
दिमित्री पेसकोव ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यूक्रेन के इन चार क्षेत्रों के प्रमुख क्रेमलिन के सेंट जॉर्ज हॉल में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान रूस में शामिल होने के लिए संधियों पर हस्ताक्षर करेंगे. इसके बाद व्लादिमीर पुतिन एक संबोधन भी देंगे जिसमें वह अपनी बात रखेंगे. यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने इस जनमत संग्रह की निंदा की है.
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फिनलैंड ने रूसी नागरिकों के लिए बंद किया बॉर्डर
इसके विरोध में फिनलैंड ने ऐलान किया है कि रूस के साथ लगी सीमा को बंद किया जा रहा है. अब यूरोपियन यूनियन वाला वीजा लेकर कोई भी रूसी नागरिक फिनलैंड में नहीं घुस पाएगा. दूसरी तरफ, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक डिक्री पर साइन किया जिसके तहत रूसी सरकार अब पश्चिमी देशों की एंट्री पर प्रतिबंध लगा सकेगी. यह प्रतिबंध सामान लाने वाले ट्रकों पर तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है.
जनमत संग्रह को अवैध बता रहे हैं यूरोपीय देश
रूस के इस जनमत संग्रह को 'अवैध' माना जा रहा है और यूरोपीय देश खुलकर इसका विरोध कर रहे हैं. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने कहा है कि जर्मनी इस फैसले को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. ओलाफ शोल्ज ने वोलोदिमीर जेलेंस्की से बातचीत में कहा कि वे यूक्रेन के साथ खड़े हैं. कनाडा ने भी कहा है कि वह रूस की इस गतिविधि के खिलाफ है और वह ऐसे किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं करेगा. सर्बिया और कनाडा ने खुलेआम कहा है कि वे रूस के इस जनमत संग्रह के खिलाफ हैं.
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आपको बता दें कि रूस ने यूक्रेन के खेरासन, ज्यापोरिज्जिया, डोनबास और खार्कीव इलाकों पर कब्जा कर लिया है. इसके बाद, रूस ने क्रीमिया की तरह ही इन इलाकों में बी जनमत संग्रह कराया. रूस का दावा है कि जनमत संग्रह में लोगों ने रूस में शामिल होने का फैसला किया है. वहीं, यूक्रेन समेत तमाम देश इस जनमत संग्रह को ही मानने से इनकार कर रहे हैं.
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