डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को अब लगभग दो साल होने वाले हैं और अब तक कोई निर्णायक नतीजा नहीं निकला है. नई खबर है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने नाटो देशों कोबताया है कि अब सिर्फ 7 दिनों का ही हथियार बचा है. दूसरी ओर मददगार देशों ने और हथियार देने में असमर्थता जताई है. ऐसा लग रहा है कि जनवरी में युद्ध किसी मोड़ पर खत्म हो सकता है. ऐसे कयास भी लगाए जा रहे हैं कि जेलेंस्की सरेंडर कर सकते हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से लगातार अमेरिका और यूरोपीय देशों ने समर्थन दिया है. हालांकि, अब तक यूक्रेन के मददगार देशों ने और मदद नहीं करने के बारे में कोई ऐलान नहीं किया है. रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग ने पूरी दुनिया में मुश्किल हालात पैदा कर दिए हैं.
यूक्रेन ने दूसरे देशों से मिले 24 हथियारों की लिस्ट जारी की है और नाटो देशों से मदद मांगी है. यूक्रेन की ओर से जारी हथियारों की लिस्ट में अमेरिका का M142 HIMARS रॉकेट सिस्टम, टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम ATACMS, हारपून मिसाइल, ब्रिटेन का स्टॉर्म शैडो क्रूज मिसाइल, ब्रिटेन का लेंजर-2 टैंक, अमेरिका का ब्रैडली लड़ाकू वाहन, स्वीडन का CV-90 लड़ाकू वाहन, फ्रांस और डेनमार्क से मिली सेजार- सेल्फ प्रोपेल्ड तोप, अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से मिले M777 तोप जैसे कई खतरनाक हथियार शामिल हैं.
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यूक्रेन के लिए लड़ाई जारी रखना मुश्किल
यूक्रेन की ओर से कहा गया है कि अब रूस के साथ युद्ध करने के लिए सिर्फ 7 दिनों का गोला बारूद और हथियार बचे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अगर यूक्रेन के हथियार खत्म हो गए और पर्याप्त हथियारों की आपूर्ति नहीं हुई तो युद्ध का अंजाम क्या होगा? बिना हथियारों के युद्ध लड़ सकना यूक्रेन के लिए संभव नहीं है और अगर वाकई में मदद नहीं मिली तो हो सकता है कि जेलेंस्की को सरेंडर भी करना पड़ जाए. ऐसे में रूस के लिए यह बहुत बड़ी सफलता हो सकती है.
अमेरिका समेत इन देशों ने किया हथियार देने से इनकार
अब तक यूक्रेन यह युद्ध अमेरिका और उसके सहयोगियों के दम पर ही लड़ रहा था लेकिन अब यह लड़ाई मुश्किल होती दिख रही है. इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष ने भी यूक्रेन के लिए मुश्किल हालात बना दिए हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों ने जो अब तक जंग में यूक्रेन के बड़े मददगार रहे हैं अब और मदद देने से इनकार कर दिया है. इजरायल को भी अमेरिका से बड़ी मदद मिल रही है और लगातार दो मोर्चे पर युद्ध लड़ना मुश्किल साबित हो रहा है.
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