कम कीमतों पर तेल नहीं बेचेगा रूस, व्लादिमीर पुतिन के ऐलान का क्या पड़ेगा भारत पर असर?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 12, 2022, 07:56 PM IST

व्लादिमीर पुतिन (फाइल फोटो)

रूस ने ऐलान किया है किया है कि वह अब सस्ती कीमतों पर तेल नहीं बेचेगा. रूस ने कच्चे तेल के एक्सपोर्ट से करीब 113 बिलियन यूरो की कमाई की थी.

डीएनए हिंदी: रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच जारी जंग का असर अब दुनिया पर भी दिखने लगा है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने बुधवार को ऐलान किया है कि रूस पर कम कीमतों पर तेल नहीं बेचेगा. ग्रुप-7 देशों ने वादा किया है कि वे दुनिया पर दबाव बनाएंगे कि रूस से कम कीमतों पर तेल खरीदें. जी-7 देशों के इस फैसले पर भड़कते अब पुतिन ने बड़ा ऐलान कर दिया है. 

रशियन एनर्जी वीक 2022 के एक इवेंट में व्लादिमीर पुतिन ने कहा, 'मैं यह साफ और स्पष्ट शब्दों में कह रहा हूं कि रूस अपने हितों के खिलाफ काम नहीं करेगा. हम गैस या तेल कम कीमतों पर नहीं बेचेंगे. हमें इसके लिए कोई झुका नहीं सकता है. हम दूसरे देशों की ओर से तय किए गए नियमों के हिसाब से नहीं चलेंगे. हम अपने आत्मसम्मान के खिलाफ काम नहीं करेंगे.' पश्चिमी देश चाह रहे हैं कि किसी भी कीमत पर रूस से उसकी आमदनी का सबसे बड़ा हिस्सा देने वाला ऑयल प्रोडक्शन छीन लें. दुनिया रूसी तेल का बहिष्कार करे.

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रूस की कमाई का मुख्य साधन है तेल और गैस

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग अब 8वें महीने में पहुंच चुका है. इस युद्ध का कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है. पश्चिमी देश आशंका जता रहे हैं कि रूस जीवाश्म ईंधन की निरंतर बिक्री से मुनाफा कमाना चाहता है. रूस की कमाई का 40 फीसदी हिस्सा जीवाश्म ईंधन से ही आता है.   

जी-7 देशों के इस फैसले से रूस का जी-7 देशों की सीमाओं में तेल बेचना कठिन हो जाएगा. रूस पर लिए गए इस फैसले के बाद रूस को आर्थिक तौर पर बड़ा झटका लगने वाला है. रूस की तेल से होने वाली कमाई पर अब असर, नजर आ सकता है.

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रूस के सेंट्रल बैंक का दावा है कि कच्चे तेल के आयात से रूस ने साल 2021 में 113 बिलियन यूरो की कमाई की थी. 70 बिलियन यूरो की कमाई रूस ने रिफाइंड प्रोडक्ट्स बेचने से की थी. रूस गैस और डीजल बेचकर भी बंपर कमाई करता है.

OPEC देशों के फैसले का दुनिया पर क्या पड़ेगा असर?

OPEC प्लस एनर्जी कार्टेल ने हाल ही में फैसला किया था कि वह तेल का उत्पादन कम करेंगी. सऊदी अरब और रूस ओपेक देशों के नेता हैं. OPEC ने प्रतिदिन 20 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन कम करने की घोषणा की है, जिसका असर कई देशों पर पड़ सकता है. सऊदी अरब का यह फैसला अमेरिका को रास नहीं आया है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और यूरोपियन नेताओं ने बाकी तेल उत्पादकों ने अपील की है कि वे गैस और तेल का प्रोडक्शन ज्यादा से ज्यादा बढ़ाएं. यह फैसला रूस पर दबाव बढ़ा रहा है. अमेरिका का दावा है कि रूस अपनी पेट्रोलियम क्षमता का इस्तेमाल उन देशों के खिलाफ हथियार की तरह कर रहा है, जो उसके विरोध में हैं.

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दुनिया के कई देश रूस की सार्वजनिक निंदा कर रहे हैं. दरअसल इन देशों के फैसले का बड़ा असर दुनिया पर पड़ सकता है. अगर तेल उत्पादन कम होगा तो डिमांड ज्यादा बढ़ेगा. फिर ये देश मनमानी कीमतों पर तेल बेचेंगे. अपने देश की आर्थिक मंदी से निपटने के लिए भी ओपेक देशों ने यह फैसला लिया है. 

भारत पर क्या पड़ेगा असर?

भारत एक संप्रभु देश है और अपने फैसले, अपने हितों के हिसाब से लेता है. अगर रूस कम कीमतों पर तेल बेचने को राजी नहीं होता है तो भारत के पास तेल खरीदने के दूसरे विकल्प भी हैं. रूस, भारत को सस्ता तेल बेचता रहा है. हो सकता है कि यूएन में यूक्रेन के पक्ष में लिए गए फैसले के बाद रूस अपना रुख बदल दे. भारत ने जून के महीने में रूस से 14 डॉलर प्रति बैरल सस्ता तेल खरीदा था. अगस्त में 6 डॉलर प्रति बैरल सस्ता तेल खरीदा था. अगर रूस ने कीमतें कम करने से इनकार किया तो हो सकता है कि भारत नया पार्टनर ढूंढे.

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भारत और रूस के कच्चे तेल का आयात करीब 50 फीसदी तक बढ़ा है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत अपने कुल तेल का 10 फीसदी हिस्सा रूस से लेता है. यूक्रेन युद्ध से पहले महज 0.2 फीसदी तेल, भारत रूस से खरीदता था. रूस और उसके सहयोगी देशों के तेल उत्पादन कम करने के फैसले का असर भारत पर भी पड़ सकता है. हो सकता है कि भारत को ज्यादा कीमतों पर तेल खरीदना पड़े. भारत 50 लाख बैरल तेल रोज खर्च करता है. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत को जहां से तेल मिलेगा, वहां से तेल खरीदेगा. अगर रूस महंगे दामों में तेल बेचेगा तो भारत दूसरे पार्टनर तलाशेगा.

यूरोप को गैस बेचने के लिए फिर तैयार है रूस!

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यह भी कहा है कि उनका देश बाल्टिक सागर के जरिए जर्मनी जाने वाली नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन से यूरोप को गैस की आपूर्ति फिर शुरू करने के लिए तैयार है. व्लादिमीर पुतिन ने आरोप लगया है कि नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन के दोनों लिंक और नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन के दो में से एक लिंक में विस्फोट के पीछे अमेरिका का हाथ है. पाइपलाइन में विस्फोटों की वजह से बड़े पैमाने पर गैस का रिसाव हुआ था और सप्लाई ठप हो गई थी. अमेरिका पहले भी पुतिन के ऐसे आरोपों को खारिज कर चुका है.

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