व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने 5वीं बार रूस (Russia) के राष्ट्रपति पद की शपथ ली है. इस दौरान वो मॉस्को के ग्रैंड क्रेमलिन पैलेस में मौजूद थे. ये जगह रूस की ऐतिहासिक जगहों में से एक है. इतिहास में इसी जगह पर रूसी राजाओं का राजतिलक हुआ करता था. रूसी राज जार कहलाते थे. रूस में हुए राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम में पुतिन को 88% मत प्राप्त हुए थे. वहीं, दूसरे स्थान पर खारितोनोव थे, जिन्हें महज 4% वोट हासिल हुए थे. इसके साथ ही वो आने वाले 6 सालों तक रूस के राष्ट्रपति बने रहेंगे. हालांकि वो रूस की सत्ता में पिछले ढाई दशकों से काबिज हैं.
पुतिन का पश्चिमी देशों को दो टूक
अपने शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही पुतिन पश्चिमी देशों और नाटो को जमकर ललकार चुके हैं. उन्होंने चेताया कि आगे की परिस्थितियां रूस के साथ पश्चिमी देशों के रवैये पर आधारित होंगी, सब इससे तय होगा कि ये देश हमारे साथ बातचीत करने में दिलचस्पी लेते हैं या हमारे मसलों में टांग अड़ाते हैं. पुतिन के शपथ ग्रहण समारोह में रूसी सेना के बड़े अधिकारी और कई बड़े रूसी डिप्लोमेट्स भी शामिल हुए थे. रूस में हुए इस चुनाव को अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने महज दिखावा करार दिया है.
हो सकता है बड़ा बदलाव
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का कहना है कि पुतिन ने जिस तरह से राष्ट्रपति चुनाव को फिर से जीतते ही पश्चिमी देशों को बातचीत का ऑफर दिया, उससे ये संकेत मिलते हैं कि वो आने वाले दिनों में यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के प्रयास कर सकते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के काल में रूस और अमेरिका के संबंध बेहद ही तीखे रहे. साल के अंत में अमेरिका में भी राष्ट्रपति के चुनाव हैं, अगर वहां ट्रंप जीतते हैं, माना जाता है कि तुरंत ही रूस-यूक्रेन युद्ध का अंत हो जाएगा. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हो रहे ऑनलाइन सर्वे में ट्रंप को बाइडेन से आगे दिखाया जा रहे है. ट्रंप के संबंध बाइडेन के मुकाबले पुतिन के साथ अच्छे हैं. विशेषज्ञो का कहना है कि पुतिन के इस टर्म में भारत और रूस के बीच के संबंध और भी ज्यादा मजबूत रहेंगे. रूस और भारत के रिश्ते शुरू से ही बेहतर रहे हैं, लेकिन हालिया घटनाक्रम को देखते हुए, कहा जा सकता है कि दोनों और भी एक-दूसरे के नजदीक आएंगे. कुछ दिनों पहले ही रूस की तरफ से अमेरिका पर भारतीय चुनाव को प्रभावित करने का इल्जाम लगाया गया था.
भारत के चुनावों को लेकर भिड़े अमेरिका और रूस
अमेरिका की तरफ से रूस के दावों का खंडन किया गया है, जिसमें अमेरिका पर भारतीय चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगाया गया था. इस संबंध में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि 'साफ तौर पर हम भारतीय चुनावों में दखल नहीं कर रहे हैं, हम विश्व में कहीं भी ऐसा नहीं करते हैं. भारत के चुनाव का फैसला भारतीय जनता को लेना है.' वहीं, रूस की ओर से अमेरिका को घेरते हुए कहा गया है कि 'अमेरिका का लक्ष्य भारत की सियासी स्थिति में अस्थिरता पैदा करना है, ताकि लोकसभा के चुनाव में बाधा उत्पन्न हो सके.'
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