राहुल को लेकर US-जर्मनी के बयान पर जयशंकर की कड़ी टिप्पणी, कहा- पश्चिमी देशों को बीच में बोलने की बुरी आदत

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Apr 02, 2023, 10:50 PM IST

विदेश मंत्री एस जयशंकर

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पश्चिम में लंबे समय से दूसरों पर टिप्पणी करने की बुरी आदत है. वह सोचते हैं कि दूसरों पर टिप्पणी करना उनका अधिकार है.

डीएनए हिंदी: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि पश्चिमी देशों को लंबे समय से दूसरों पर टिप्पणी करने की 'बुरी आदत' रही है और वे सोचते हैं कि अन्य देशों के आंतरिक मामले में उनके पास बोलने का ईश्वर प्रदत्त अधिकार है. जयशंकर ने स्थानीय कब्बन पार्क में 500 से अधिक युवा मतदाताओं, जॉगर्स और आगंतुकों के साथ बेंगलुरु दक्षिण के सांसद तेजस्वी सूर्या और बेंगलुरु मध्य के सांसद पीसी मोहन की ओर से आयोजित 'मीट एंड ग्रीट' कार्यक्रम के दौरान यह बात कही.

विदेश मंत्री कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराये जाने को लेकर जर्मनी और अमेरिका की टिप्पणी से संबंधित एक सवाल का जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि इसके दो कारण हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि पश्चिम में लंबे समय से दूसरों पर टिप्पणी करने की बुरी आदत है. वे यही सोचते हैं कि दूसरों पर टिप्पणी करना किसी न किसी रूप में उनका ईश्वर-प्रदत्त अधिकार है. उन्हें केवल अनुभव से सीखना होगा कि अगर आप टिप्पणी करना जारी रखते हैं तो आपके खिलाफ दूसरे भी टिप्पणी करना शुरू कर देंगे और ऐसा होता है तो उन्हें पसंद नहीं आएगा. मैं देख रहा हूं कि ऐसा हो रहा है.’ 

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उन्होंने कहा, ‘हमारे हिसाब से सच्चाई का दूसरा पहलू यह है कि आप लोगों को अपने ऊपर टिप्पणी करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं. फिर अधिक से अधिक लोग टिप्पणी करने को उत्सुक हैं. हमें दुनिया को यह कहते हुए उदार निमंत्रण देना बंद करना होगा कि भारत में समस्याएं हैं और अमेरिका और यूरोप आप चुपचाप क्यों खड़े हैं और कुछ क्यों नहीं कर रहे हैं?'

विदेश मंत्री ने कहा कि अगर यहां से वहां कोई जाता है और कहता है कि 'आप चुपचाप क्यों खड़े हैं और कुछ क्यों नहीं कह रहे हैं', तो जाहिर है कि वे टिप्पणी करेंगे. समस्या का हिस्सा वे हैं, समस्या का हिस्सा हम भी हैं. मुझे लगता है कि दोनों को ठीक किए जाने की जरूरत है. बातचीत के दौरान बेंगलुरु दक्षिण और बेंगलुरु मध्य के भाजपा सांसद क्रमश: सूर्या और मोहन मौजूद थे. 

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'मुफ्त की रेबड़ियां' को लेकर टिप्पणी
मुफ्त की रेबड़ियां बांटने की संस्कृति से जुड़े एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि दिल्ली में कुछ लोग इसके उस्ताद हैं. उन्होंने कहा, ‘वे ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास संसाधन जुटाने की जिम्मेदारी नहीं है.आप मुफ्त उपहारों के आधार पर देश नहीं चला सकते. कहीं न कहीं, किसी को इसके लिए भुगतान करना ही पड़ता है. जो कोई यहां मुफ्त उपहार दे रहा है, वह कहीं और कुछ ले रहा है.’ उन्होंने कहा कि मुफ्त की रेबड़ियां बांटने की संस्कृति बेहद गैर-जिम्मेदार तरीके से तेजी से लोकप्रियता हासिल करने का एक माध्यम है और यह टिकाऊ नहीं है. (इनपुट- भाषा)

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