जयशंकर ने पुतिन को सौंपी PM मोदी की चिट्ठी, जवाब में रूसी राष्ट्रपति ने भेजा खास संदेश

रईश खान | Updated:Dec 27, 2023, 11:31 PM IST

S Jaishankar Meets Vladimir Putin

रूस की पांच दिवसीय यात्रा पर गए एस जयशंकर ने लावरोव के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र, यूक्रेन संघर्ष, गाजा की स्थिति, अफगानिस्तान और मध्य एशिया, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन, जी20 और संयुक्त राष्ट्र पर भी विचार-विमर्श किया.

डीएनए हिंदी: रूस की पांच दिवसीय यात्रा पर पहुंचे भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) से मुलाकात की. इस दौरान जयशंकर ने पीएम मोदी की लिखी चिट्टी पुतिन को सौंपी. दोनों ही नेताओं ने भारत-रूस के बीच संबंधों को मजबूत करने पर बात की. इस दौरान पुतिन ने भी जवाब में पीएम मोदी को रूस आने के लिए आमंत्रित किया.

एस जयशंकर ने इससे पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ बैठक की. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच अंतरराष्ट्रीय स्थिति और समसामयिक मुद्दों पर बात हुई. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत-रूस संबंध भू-राजनीतिक वास्तविकताओं, रणनीतिक भागीदारी और पारस्परिक लाभ को दर्शाते हैं. जयशंकर ने यहां रूस के अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ सार्थक बैठक की और इस दौरान उन्होंने इंटरनेशनल स्थिति और समसामयिक मुद्दों पर बात की.

रूस की पांच दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने लावरोव के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र, यूक्रेन संघर्ष, गाजा की स्थिति, अफगानिस्तान और मध्य एशिया, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन, जी20 और संयुक्त राष्ट्र पर भी विचार-विमर्श किया. जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट किया, 'रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ एक व्यापक और उपयोगी बैठक हुई. रणनीतिक साझेदार के रूप में, अंतरराष्ट्रीय स्थिति और समसामयिक मुद्दों पर चर्चा की गई. उन्होंने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग, ऊर्जा व्यापार, कनेक्टिविटी प्रयासों, सैन्य-तकनीकी सहयोग और दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क में हुई प्रगति का उल्लेख किया. 

उन्होंने कहा कि 2024-28 की अवधि के लिए परामर्श प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए. भारत-रूस संबंध भू-राजनीतिक वास्तविकताओं, रणनीतिक भागीदारी और पारस्परिक लाभ को दर्शाते हैं. जयशंकर ने वार्ता के बाद लावरोव के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हमारे लिए रूस एक मूल्यवान साझेदार है, समय की कसौटी पर परखा हुआ साझेदार है. यह एक ऐसा रिश्ता है जिससे भारत और रूस दोनों को काफी फायदा हुआ है.

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उत्तर-दक्षिण मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर पर हस्ताक्षर
रूस, भारत और ईरान ने 2000 में उत्तर-दक्षिण मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के निर्माण पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें भागीदारों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है. परियोजना का लक्ष्य भारत, ईरान और फारस की खाड़ी के देशों से रूसी क्षेत्र के माध्यम से पारगमन माल ढुलाई को यूरोप तक लाना है. जयशंकर ने कहा, "हम इस तथ्य की सराहना करते हैं कि हमारा व्यापार अब तक के उच्चतम स्तर पर है. हमने पिछले साल 50 अरब डॉलर से ज्यादा का कारोबार किया था. हमें इस साल इससे अधिक होने की उम्मीद है और महत्वपूर्ण बात यह है कि यह व्यापार अधिक संतुलित है. यह टिकाऊ है और निष्पक्ष बाजार पहुंच प्रदान करता है.' 

जयशंकर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जनवरी में वाइब्रेंट गुजरात बैठक में सुदूर पूर्व से एक प्रतिनिधिमंडल भाग लेगा. उन्होंने कहा कि हमने दीर्घकालिक व्यवस्थाओं पर चर्चा की. हम ऊर्जा, उर्वरक और भोजन पकाने में इस्तेमाल होने वाले कोयले के लिए व्यापक व्यापार कर रहे हैं. हम इस संबंध में दीर्घकालिक व्यवस्थाओं तक कैसे पहुंच सकते हैं, इसपर व्यापक चर्चा हुई. हमने द्विपक्षीय निवेश और द्विपक्षीय निवेश संधि की जरूरत पर बात की. 

इससे पहले बैठक की शुरुआत में जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समय समय पर एक-दूसरे से बात करते रहे हैं. जयशंकर ने कहा कि हमारे संबंध बेहद मजबूत, बेहद स्थिर हैं. मुझे लगता है कि हम एक विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी पर खरे उतरे हैं. इस साल हम पहले ही छह बार मिल चुके हैं और यह सातवीं बैठक है. उन्होंने कहा कि आज की बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया, इसे बदलती परिस्थितियों और मांगों के अनुसार समायोजित किया. जयशंकर ने कहा कि इस साल दोनों पक्ष सहयोग की अलग-अलग अभिव्यक्तियों के गवाह बने. उन्होंने कहा कि मैं बैठकों में व्लादिवोस्तोक में सुदूर पूर्वी आर्थिक मंच पर सेंट पीटर्सबर्ग अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंच में हमारी उपस्थिति का भी उल्लेख करूंगा. (भाषा इनपुट के साथ)

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