Economic Crisis: भारी उधार में डूबा है भारत का ये पड़ोसी देश, चाय पिलाकर उतार रहा अपना कर्ज

Written By पुनीत जैन | Updated: Feb 24, 2024, 12:07 AM IST

srilanka debt crisis

Economic Crisis: आर्थिक तंगी से जूझ रहे श्रीलंका पर ईरान की तरफ से दिए जा रहे कच्चे तेल की कीमत का मोटा कर्ज हो चुका है, जिसे चुकाने के लिए श्रीलंका अब तक 20 मिलियन डॉलर की चाय ईरान को निर्यात कर चुका है.

Economic Crisis: इस समय श्रीलंका आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. 2022 में आए अर्थिक संकट के कारण भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है. इससे उसे कई आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इनसे बचने के लिए श्रीलंका सरकार कमाई के तरह-तरह के उपाय खोज रही है. श्रीलंका सरकार के एक अधिकारिक बयान के अनुसार, श्रीलंका सरकार ने कर्ज चुकाने का एक ऐसा तरीका खोज निकाला है, जिससे देश को अपने खाते से एक रुपया भी देना नहीं पडे़गा और उसका काम भी हो जाएगा. यह तरीका है कैश के बजाय चाय निर्यात करने का.

20 मिलियन डॉलर की कीमत का चाय निर्यात

श्रीलंका पर 251 करोड़ डॉलर का कर्ज है, जो उसे ईरान को देना है. दरअसल श्रीलंका पर ये कर्ज कच्चे तेल के बिल का है, जिसे उसने ईरान से खरीदा था. अब इस कर्ज को चुकाने के लिए श्रीलंका ईरान को कैश के बदले चाय भेज रहा है. जानकारी के अनुसार, श्रीलंका अब तक 20 मिलियन डॉलर की कीमत के बराबर चाय ईरान को निर्यात कर चुका है. कर्ज के छोटे हिस्से को चाय के बदले उतारने पर तेहरान ने भी अपनी संतुष्टि व्यक्त की है.

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चाय के बदले तेल पर हुई सहमति 

दिसंबर 2021 में दोनों देशों के बीच चाय के बदले तेल पर सहमति बनी थी, लेकिन श्रीलंका में आर्थिक संकट के चलते निर्यात में देरी हो गई. इसके चलते तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को जुलाई 2022 में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. ईरान पर अमेरिका ने काफी प्रतिबंध लगाए हुए हैं. ऐसे में बार्टर एग्रीमेंट ईरान को श्रीलंका से चाय के आयात के भुगतान के लिए दुर्लभ मुद्रा का उपयोग करने से बचने की अनुमति देता है.

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काली चाय के उत्पादन के लिए मशहूर 

श्रीलंका अपनी चाय के लिए दुनियाभर में काफी मशहूर है. श्रीलंका काली चाय के उत्पादन के लिए जाना जाता है. इस वक्त श्रीलंका दुनिया का चौथा सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश है. श्रीलंका की सीलोन चाय को ईरान में काफी पसंद किया जाता है. बताया जाता है कि 2016 में सीलोन चाय ईरान की चाय की खपत का आधा हिस्सा थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस अनुपात में गिरावट आई है.

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