डीएनए हिंदी: सूडान में पिछले तीन दिनों से हिंसक संघर्ष जारी है. इस हिंसा में अभी तक 180 लोगों की मौत हो चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी तक 1800 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं. भारत के भी कई लोग सूडान में फंसे हुए हैं. दूसरी तरफ यूरोपीय यूनियन के राजदूत पर भी हमला किया गया है. हिंसा रोकने के लिए दुनियाभर के देशों और संगठनों की ओर से अपील की जा रही है लेकिन अभी तक कोई कामयाबी नहीं मिली है.
सूडान की राजधानी खार्तूम और उससे सटे हुए शहर ओमडर्मन में भीषण जंग छिड़ी हुई है. दो गुटों की ओर से गोलीबारी, बमबाजी और हवाई हमले किए जा रहे हैं. इस हिंसा में आम लोग मारे जा रहे हैं. बिजली और पानी की भी कमी हो गई है, इसके बावजूद लोग अपने घरों से नहीं निकल पा रहे हैं. यह सब आखिर क्यो हो रहा है और इस लड़ाई में कौन शामिल है, आइए विस्तार से समझते हैं.
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क्या है सूडान में हिंसा का कारण?
सूडान में मौजूदा समय में जो संघर्ष चल रहा है वह देश की सेना और अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के बीच हो रहा है. इसकी शुरुआत अक्टूबर 2021 से होती है, जब देश में तख्तापलट हो गया था. उसके बाद से ही देश की सेना और RSF मिलकर सूडान को चला रहे हैं. ये दोनों एक काउंसिल का हिस्सा हैं, जो सूडान की सरकार चला रही है.
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इस काउंसिल के मुखिया सूडान की सेना के जनरल अब्देल फतह अल बुरहान हैं. RSF के चीफ जनरल मोहम्मद हमदान डगलो इस काउंसिल के उपाध्यक्ष हैं. ये संघर्ष इन दोनों के बीच की आपसी खींचतान और काउंसिल के कुछ फैसलों की वजह से हो रहा है. दरअसल, यह काउंसिल RSF को सूडान की सेना में शामिल करना चाहती है. RSF का कहना है कि इस काम को 10 साल के लिए टाला जाए.
राजनीति महत्वाकांक्षाओं ने बिगाड़ी शांति?
दूसरी तरफ, सूडानी सेना दो साल में ही RSF को अपना हिस्सा बनाना चाहती है. इसी मुद्दे पर दोनों के बीच तनाव बढ़ा तो RSF ने मेरोवे में मिलिट्री स्टेशन के पास अपने लड़ाके तैनात कर दिए. इस संघर्ष के पीछे सेना के जनरल अब्देल फतह अल बुरहान और RSF मुखिया जनरल मोहम्मद हमदान की निजी महत्वाकांक्षाएं भी हैं. इसी को लेकर दोनों के बीच संघर्ष अब हिंसक रूप ले चुका है. दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कि हमले की शुरुआत दूसरे ने की.
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सूडान में लंबे समय से सत्ता पर काबिज होने की कोशिशें चल रही हैं लेकिन कुछ भी स्थायी स्थिति में नहीं पहुंच पा रहा है. 2019 में भी विद्रोह हो चुका है. यहां सेना काफी प्रभावशाली शक्ति रही है. यही कारण है कि बार-बार तख्तापलट हो रहा है.
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