डीएनए हिंदी: भारत में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलता ने पहले ही पाकिस्तान को सदमा दे दिया है. अब उसके दोस्त तुर्की को भी भारत के अरब देशों से बनते मजबूत संबंधों और इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) पर आपत्ति है. यह कॉरिडोर ऐसा है जो तुर्की को बायपास करते हुए बनेगा. अब तुर्की ने इस कॉरिडोर पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि यूरोप तक जाने के लिए तुर्की के बिना कोई गलियारा नहीं हो सकता. यही नहीं तुर्की के राष्ट्रपति ने इस योजवा के सफल होने पर ही संदेह जता दिया है. एर्दोगन के बयान से इतना तो स्पष्ट हो गया है कि तुर्की और पाकिस्तान दोनों को ही भारत के अरब देशों से बनते कूटनीतिक संबंधों से असुरक्षा का भाव है.
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने सोमवार को इस गलियारे का विरोध किया है. फिलहाल यह गलियारा सिर्फ प्रस्तावित है जिसे साकार रूप लेने में लंबा वक्त लग सकता है. इस बीच पाकिस्तान और तुर्की ने इस पर पहले से ही आपत्ति जता दी है. तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा, 'हम कहते हैं कि तुर्की के बिना कोई गलियारा नहीं हो सकता. आईएमईसी वाकई में साकार हो पाएगा इस पर हमें संदेह है.' उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कॉरिडोर की सफलता पर संदेह जताया है.
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IMEC से भारत और यूरोप को होगा बड़ा लाभ
इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) में संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजराइल को एक रेल लाइन कनेक्ट करेगा। इजरायल के बंदरगाह हाइफा से शिपिंग लाइन से भूमध्य-सागर के रास्ते ग्रीस पहुंचा जाएगा. अगर यह कॉरिडोर बनेगा तो भारत सीधेसड़क मार्ग से यूरोप तक जुड़ जाएगा. व्यापारिक संबंधों के लिहाज से यह कॉरिडोर समय और धन की बड़ी बचत करने वाला साबित होगा. इससे यूरोप या भारत से कच्चा माल लाने-ले जाने की लागत भी कम होगी.
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यूरोप से जुड़ता है तुर्की, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण
तुर्की जमीन के जरिए यूरोप से जुड़ा है यूरोप और एशिया को जोड़ने वाली पुल को बास्फोरस कहते हैं जो पर्यटकों के बीच खास आकर्षण का केंद्र रहा है. ऐतिहासिक तौर पर भी तुर्की की भूमिका रणनीतिक तौर पर काफी अहम रही है और उसकी बड़ी वजह भौगोलिक स्थिति है. यही वजह है कि एर्दोगन यह मान कर चल रहे हैं कि बिना तुर्की को शामिल किए यूरोप तक नहीं जाया जा सकता है. हालांकि, प्रस्तावित आईएमसी अगर साकार लेता है तो तुर्की के अलावा एक वैकल्पिक मार्ग बन जाएगा.
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