डीएनए हिंदी : रूस के साथ कई महीने से युद्ध में जूझ रहे यूक्रेन लगातार इंटरनेशनल सपोर्ट की मांग करता रहा है. दुनिया के अधिकतर देशों ने यूक्रेन को अपना समर्थन भी दिया है, लेकिन रूस पर युद्ध खत्म करने के लिए दबाव बनाने में असफल रहे हैं. ऐसे में यूक्रेन ने अपनी कूटनीति को नया रूप देना शुरू कर दिया है.
इसी के तहत यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने शनिवार रात को अचानक भारत समेत पांच देशों में अपने राजदूतों को हटा दिया. राष्ट्रपति कार्यालय की ऑफिशियल वेबसाइट की तरफ से दी गई इस जानकारी के बाद सभी हैरान हो गए हैं. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इन राजदूतों को कोई नई जिम्मेदारी दी जाएगी या नहीं. भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा थे, जिन्हें भारत समर्थक माना जाता रहा है.
जर्मनी, नार्वे, हंगरी, चेक रिपब्लिक से भी हटाए हैं राजदूत
जेलेंस्की ने भारत के अलावा जिन चार देशों से अपने राजदूत हटाए हैं, उनमें जर्मनी (Germany) में यूक्रेनी राजदूत एंड्री मेलनिक (Andriy Melnyk), यूक्रेन का खास पड़ोसी देश हंगरी (Hungry), नॉर्वे (Norway) और चेक रिपब्लिक (Czech Republic) शामिल हैं. इस कार्रवाई को किए जाने के पीछे कोई भी कारण प्रेसिडेंशियल वेबसाइट पर नहीं बताया गया है.
इंटरनेशनल सपोर्ट में कमी तो नहीं बनी है कारण
दरअसल जेलेंस्की लगातार अपने राजनयिकों से इंटरनेशनल सपोर्ट और मिलिट्री सहायता जुटाने के लिए कूटनीतिक दबाव बढ़ाने का आग्रह करते रहे हैं. यूक्रेनी राष्ट्रपति 24 फरवरी को रूस के अपने देश पर हमला करने के बाद से इसी काम में जुटे हुए हैं. इसके बावजूद कीव के रिलेशन कई देशों के साथ बहुत अच्छी स्थिति में नहीं रहे हैं.
भारत ने नहीं किया है रूस पर कार्रवाई वाले प्रस्ताव का समर्थन
भारत उन देशों में शामिल है, जिन्होंने रूस का यूक्रेन पर हमले के लिए समर्थन नहीं किया है. साथ ही भारत ने रूस के खिलाफ कार्रवाई के लिए संयुक्त राष्ट्र में पेश प्रस्तावों का भी समर्थन नहीं किया है. इसके जरिए भारत ने अपना तटस्थ रुख रखने की कोशिश की है, लेकिन पश्चिमी देश भारत की तरफ से रूस से तेल व अन्य उत्पाद खरीदे जाने को लेकर ऐतराज जताते रहे हैं. यूक्रेन ने भी भारत से रूस पर दबाव बनाने की मांग कई बार की है. इसके जवाब में भारत ने अपने हितों को सर्वोपरि बताया है.
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जर्मनी भी ले रहा है रूस से गैस सप्लाई
जर्मनी भी रूस से मिलने वाली गैस की सप्लाई पर बेहद निर्भर है. यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए यह बेहद संवेदनशील मामला है. इसके चलते बर्लिन और कीव के बीच संबंधों में बेहद कटुता आ गई है. दोनों देशों के संबंध कनाडा में मेंटिंनेंस से गुजर रही जर्मनी निर्मित टरबाइन को लेकर भी तीखे हुए हैं. जर्मनी ने ओटावा से यह टरबाइन रूस की नेचुरल गैस कंपनी गजप्रोम को लौटाने के लिए कहा है ताकि वहां से यूरोप के लिए गैस की सप्लाई शुरू हो सके. इसके उलट यूक्रेन ने कनाडा से यह टरबाइन रूस को नहीं देने के लिए कहा है. यूक्रेन का कहना है कि इससे रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का उल्लंघन होगा.
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