डीएनए हिंदी: समय के साथ तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी सभी क्षेत्रों में विकसित हो रही है. आर्टफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटलाइजेशन की मदद से हेल्थ और एजुकेशन के क्षेत्र में काफी काम हो रहा है. ऐसी ही एक टेक्नोलॉजी है ब्रेन चिप. अब ब्रेन चिप बनाने वाली एक कंपनी ने लगभग 50 लोगों के सिर पर ऐसी चिप लगाई हैं और दावा किया है कि इससे न सिर्फ बीमारियां ठीक की जा सकेंगी बल्कि वे लोग भी टेक्नोलॉजी की मदद से अपने काम कर सकेंगे जो लकवाग्रस्त हो चुके हैं.
अमेरिकी कंपनी ब्लैकरॉक न्यूरोटेक ने न्यूरोपोर्ट ऐरे नाम की ब्रेन चिप बनाई है. इसका मकसद दिमाग के संकेतों को पढ़ना, रोबोटिक आर्म का इस्तेमाल करना और व्हीलचेयर को कंट्रोल करना है. कंपनी के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इससे दिमाग से जुड़ी बीमारियों को भी ठीक किया जा सकता है. कंपनी ने लगभग 50 लोगों के दिमाग में ये चिप लगा दिए हैं और ट्रायल भी शुरू कर दिए हैं.
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कंपनी के मुताबिक, इन ब्रेन चिप की मदद से कंप्यूटर को सीधे दिमाग से कनेक्ट किया जा सकता है. इसमें लगभग 100 माइक्रो नीडल्स यानी सुइयां होती हैं जो दिमाग में पैदा होने वाले इलेक्ट्रिक सिग्नल को समझ लेती हैं और उन्हीं के हिसाब से काम करती हैं. हालांकि, कंपनी को अभी एफडीए से मंजूरी लेना है.
कैसे काम करते हैं ब्रेन चिप?
ऐसी चिप और टेक्नोलॉजी जो इंसानों के दिमाग में फिट हो सके और उसके साथ मिलकर काम कर सके, उसे ब्रेन चिप कहा जाता है. ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस एक तरह की चिप होती है. इस चिप को दिमाग के साथ लगाने पर दिमाग और कंप्यूटर सिंक हो जाते हैं. इसमें दिमाग के न्यूरॉन और कंप्यूटर चिप एक-दूसरे का हिस्सा बन जाते हैं.
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कंपनियां इन चिप की मदद से इंसानों के दिमाग से खेलने के सपने देख रही हैं. फिलहाल कंपनियां इस तरह के ब्रेन चिप के फायदे गिनवा रही हैं लेकिन खतरों के बारे में भी खूब चर्चा हो रही है. एलन मस्क तो यह भी कहते हैं कि इन चिप की मदद से नेत्रहीन व्यक्ति भी देख सकेंगे और लकवाग्रस्त इंसान भी डिजिटल डिवाइसों का इस्तेमाल कर सकेंगे.
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