US Elections 2024: इमिग्रेशन क्यों है अमेरिकी चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा? इसको लेकर क्या है ट्रंप और हैरिस की नीतियां?

Written By राजा राम | Updated: Oct 28, 2024, 04:09 PM IST

अमेरिका के आगामी राष्ट्रपति चुनाव में अप्रवासन (Immigration) एक प्रमुख मुद्दा है. ट्रंप ने सख्त नीतियों का वादा किया है, जबकि हैरिस सुधारवादी दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दे रही हैं. अब ये देखना काफी दिलचस्प हो गया है कि इस चुनाव में अप्रवासन के वजह से चुनावी परिणाम में कितना बदलाब देखने को मिलता है.

US Elections 2024: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में अब केवल कुछ दिन ही बचे हैं. पिछले कई चुनावों में इमिग्रेशन हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है. इस बार भी अप्रवासन एक अहम चुनावी मुद्दा बन गया है. इसी को देखते हुए भारत सहित विभिन्न दक्षिण एशियाई देशों के आप्रवासियों को डोनाल्ड ट्रंप की संभावित अप्रवासन नीति से चिंताएं हैं. ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में वाशिंगटन की अप्रवासन नीतियों को सख्त करने और बिना दस्तावेज वाले आप्रवासियों का सबसे बड़ा घरेलू निर्वासन अभियान चलाने का वादा किया है. ट्रंप का कहना है कि अमेरिकी अप्रवासन प्रणाली गंभीर संकट में है और इसे सुधारने के लिए कठोर नीतियों की जरूरत नहीं है. 

दरअसल, इमिग्रेशन हमेशा से अमेरिकी चुनावों में एक हॉट टॉपिक बना रहता है. इस चुनाव में भी दोनों ऊमीदवारों द्वारा इमिग्रेशन को लेकर अपनी अलग अलग राय है. ट्रंप अक्सर इस मामले को लेकर काफी सख्त दिखे हैं, वहीं डेमोक्रेटिक उम्मीदवार और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस उनके मुकाबले नरम दिखीं हैं. हैरिस ने  कहा है कि अमेरिका की आव्रजन प्रणाली को सुधारने की आवश्यकता है लेकिन ट्रंप पर आरोप लगाया कि वे अवैध आप्रवासियों और गिरोहों को अमेरिका में लाने का प्रयास कर रहे हैं.

बाइडेन के प्रशासन पर उंगली
रिपब्लिकन पार्टी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन की आव्रजन नीतियों की कड़ी आलोचना की है. पार्टी का कहना है कि बाइडेन की उदार नीतियों ने अवैध इमिग्रेशन को बढ़ावा दिया है. उन्होंने ट्रंप युग की नीतियों को वापस लेने के लिए बाइडेन प्रशासन को दोषी ठहराया है. रिपब्लिकन नेताओं का तर्क है कि सख्त सीमा सुरक्षा उपायों के अभाव में अवैध घुसपैठ में वृद्धि हुई है.

एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा
अमेरिका की शरण प्रणाली पर बढ़ते दबाव के कारण, बाइडेन प्रशासन को आव्रजन सुधार नीति पारित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. रिपोर्ट्स बताते हैं कि बाइडेन के सत्ता में आने के बाद 6.4 मिलियन यानी 64 लाख लोग अवैध तरीके से अमेरिका में घुस चुके हैं और शरण मांगने वालों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. अपने चुनावी रैलियों में भी अक्सर दोनों नेताओं ने इस मुद्दे को खूब उछाला है. जिसके बाद,  अमेरिका में आव्रजन एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है, जो राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकता है.

डोनाल्ड ट्रंप की सख्त नीति
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान, अमेरिका की आव्रजन नीति बेहद सख्त कर दी गई थी. ट्रंप प्रशासन ने अवैध और कानूनी दोनों प्रकार के इमिग्रेशन को नियंत्रित करने के लिए कड़े उपाय अपनाए थे. 'जीरो टॉलरेंस' नीति के अंतर्गत, अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर परिवारों को विवादास्पद तरीके से अलग किया गया.  इसके अलावा, ट्रंप ने डीएसीए कार्यक्रम को खत्म करने की मांग की थी जो बिना दस्तावेज वाले बच्चों को सुरक्षा प्रदान करता है. उन्होंने कई मुस्लिम बहुल देशों पर यात्रा प्रतिबंध भी लागू किया, जिसे उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया था. दरअसल, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले आप्रवासियों के बच्चों के लिए जन्मसिद्ध नागरिकता के प्रावधान को समाप्त करने का वादा किया है. यह घोषणा अमेरिका में नागरिकता के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है, जिससे भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों के आप्रवासियों के लिए चिंता बढ़ गई है.

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सर्वेक्षण के आंकड़े
प्यू रिसर्च की एक सर्वे रिपोर्ट से पता चला है कि राष्ट्रपति चुनाव के दोनों उम्मीदवारों के समर्थक सामूहिक निर्वासन के मुद्दे पर भिन्न राय रखते हैं. जहां 88 प्रतिशत ट्रंप समर्थक अवैध आप्रवासियों के बड़े पैमाने पर निर्वासन के पक्ष में हैं, वहीं केवल 27 प्रतिशत हैरिस समर्थक इस विचार का समर्थन करते हैं.

इस चुनाव में, आव्रजन की नीति न केवल मतदाताओं की भावनाओं को प्रभावित कर रही है बल्कि अमेरिका की राजनीति को भी नया आकार दे रही है. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, ट्रंप और हैरिस ने इस मुद्दे पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, जिससे आने वाले दिनों में वहां कि सियासत गरमाने की संभावना है.

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