US Election 2024: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने मंत्रिमंडल और सलाहकारों के चयन में कुछ चौंकाने वाले फैसले ले रहे हैं, जिनमें से एक है उनके लंबे समय के सलाहकार स्टीफन मिलर को नीति उप प्रमुख के रूप में नियुक्त करना. मिलर इमिग्रेशन नीतियों पर अपनी कठोर सोच और H-1B वीजा के खिलाफ रुख के लिए लोकप्रिय हैं. ट्रंप द्वारा किए गए इस फैसले से अमेरिका में काम करने वाले भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियरों और अन्य पेशेवरों के लिए नई चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं.
स्टीफन मिलर की भूमिका
स्टीफन मिलर, जो पहले भी ट्रंप के इमिग्रेशन सुधारों के प्रमुख समर्थक रहे हैं, H-1B वीजा के प्रावधानों को सख्त करने के पक्ष में हैं. उनका कहना है कि अमेरिकी कंपनियों द्वारा विदेशी पेशेवरों को काम पर रखने के बजाय अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. उनका यह नजरिया ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान साफ तौर से देखा गया था, जब उन्होंने इमिग्रेशन नीतियों को कड़ा करने के लिए कई कदम उठाए थे. मिलर का यह रुख विशेष रूप से उन पेशेवरों पर प्रभाव डाल सकता है जो H-1B वीजा पर अमेरिका में काम करने आते हैं.
नियमों में बदलाव का असर
भारतीय नागरिकों के लिए H-1B वीजा एक महत्वपूर्ण साधन है, जिसके जरिए वे अमेरिका में उच्च-स्किल जॉब्स हासिल कर सकते हैं. लंबी अवधि तक काम कर सकते हैं. स्टीफन मिलर के प्रभाव में, अमेरिकी प्रशासन H-1B वीजा के नियमों को और कड़ा कर सकता है. इससे भारतीय पेशेवरों के लिए वीजा आवेदनों में स्वीकृति की दर घट सकती है.
इसके अतिरिक्त, H-1B वीजा के लिए न्यूतम वेतन सीमा को बढ़ाए जाने से अमेरिकी कंपनियों के लिए भारतीय कर्मचारियों को नियुक्त करना महंगा हो सकता है. साथ ही, वीजा आवेदन प्रक्रिया में अतिरिक्त कागजी कार्रवाई और जांच के कारण वीजा की प्रक्रिया में देरी हो सकती है, जिससे भारतीय पेशेवरों को समय पर वीजा प्राप्त करने में मुश्किल हो सकती है। इस प्रकार के कदम भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में रोजगार के अवसरों को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना सकते हैं।
H-1B वीजा का भारतीय पेशेवरों के लिए महत्व
H-1B वीजा भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में करियर बनाने का एक प्रमुख साधन है, खासकर IT और सॉफ्टवेयर क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए. यह वीजा न केवल नौकरी के अवसर प्रदान करता है, बल्कि स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) प्राप्त करने का एक रास्ता भी है. ट्रंप प्रशासन की इमिग्रेशन नीतियों में संभावित बदलावों के कारण भारतीय पेशेवरों के लिए भविष्य में अमेरिका में रोजगार के अवसरों की कमी हो सकती है, और उनके करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
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भारतीयों पर पड़ सकता है असर
अमेरिका में कार्यरत भारतीय पेशेवरों के लिए यह एक चिंताजनक स्थिति हो सकती है, खासकर अगर मिलर की कठोर नीतियां लागू होती हैं, तो अमेरिकी कंपनियों के लिए भारतीय कर्मचारियों को नियुक्त करना और भी जटिल हो सकता है. स्टीफन मिलर की नियुक्ति और ट्रंप प्रशासन की संभावित इमिग्रेशन नीतियों के कारण भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में काम करने की प्रक्रिया थोड़ी कठिन हो सकती है. भारतीय नागरिकों को इससे होने वाली समस्याओं को लेकर सतर्क रहना होगा, क्योंकि इस नीति बदलाव का असर उनकी नौकरी, करियर और भविष्य पर पड़ सकता है.
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