अमेरिका में गर्भपात का कानूनी अधिकार खत्म , Supreme Court ने पलटा अपना 50 साल पुराना फैसला

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 25, 2022, 11:49 AM IST

right to abortion in america

अबॉर्शन का अधिकार अमेरिका के सबसे संवेदनशील मुद्दों में एक है. यह वह मुद्दा है जो अमेरिकी कट्टरपंथियों और उदारवादियों के बीच विभाजन रेखा भी खींचता है.

डीएनए हिंदी : अमेरिका में गर्भपात (Right to abortion) के संवैधानिक अधिकार को खत्म कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए अपने ही पांच दशक पुराने फैसले को पलट दिया है. पांच दशक पहले सुप्रीम कोर्ट में ही एक फैसला सुनाते हुए महिलाओं को अबॉर्शन कराने का अधिकार दिया गया था. ताजा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संविधान गर्भपात का अधिकार नहीं देता है. हमारी तरफ से Roe vs. Wade केस को खारिज किया जाता है. हालांकि इसके साथ कोर्ट ने यह जरूर कहा कि अमेरिका के सभी राज्य गर्भपात कानून को लेकर अपने अलग नियम-कानून बना सकते हैं. 

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क्या है Roe vs. Wade की कहानी
माना जाता है कि अबॉर्शन का अधिकार अमेरिका के सबसे संवेदनशील मुद्दों में एक है. यह वह मुद्दा है जो अमेरिकी कट्टरपंथियों और उदारवादियों के बीच विभाजन रेखा भी खींचता है. साल 1973 में अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात पर अपना एक ऐतिहासिक फैसला दिया था जिसे Roe vs. Wade नाम दिया गया. अमेरिका के टेक्सास में रहने वाली लड़की नॉर्मा मैककॉर्वी की छोटी उम्र में ही शादी हो गई. पहली बार वह 16 साल की उम्र में मां बनीं. वह उस वक़्त बच्चा पालने लायक स्थिति में नहीं थीं. उन्होंने अपना बच्चा अपनी मां की कस्टडी में छोड़ दिया. वह दूसरी बार मां बीस साल की उम्र में बनीं.

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इसके 2 साल बाद ही जब वह तीसरी बार मां बनने वाली थीं तब उन्होंने अबॉर्शन कराना चाहा. उस वक़्त टेक्सास में अबॉर्शन केवल उन स्त्रियों के लिए मान्य था जिन्हें जान का खतरा था. उसने फेडरल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से उसे गर्भपात की अनुमति नहीं मिली. इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. यहां नौ जजों की बेंच ने 7:2 से फैसला करते हुए गर्भसमापन पर बैन लगाने वाले कानून को स्त्री विरोधी बताया और फ़ैसला उनके पक्ष में दिया और कहा कि गर्भ का क्या कहना है यह हक सिर्फ महिला को होना चाहिए. इस फैसले में 28 हफ्ते तक अबॉर्शन की मंजूरी दी गई थी, इसे बदलकर बाद में एक बार बीस हफ्ता किया गया. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पलट देने के बाद से अमेरिका में माहौल काफी तनावपूर्ण है.

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा- गलत है ये फैसला
इस मसले पर बोलते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने लोगों से शांत रहने की अपील की है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही नहीं है. फिर भी लोग शांति बनाए रखें और हिंसक प्रदर्शन ना करें. बाइडन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दुखद बताते हुए यहां तक कहा कि पूरे देश में महिलाओं का स्वास्थ्य और जीवन अब खतरे में है. अदालत ने अमेरिकी जनता को अचानक एक संवैधानिक अधिकार से वंचित कर दिया है. 

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