UNSC में भारत को स्थायी सदस्यता दिलाना चाहता है अमेरिका, राष्ट्रपति Joe Biden ने किया समर्थन

Written By हिमांशु तिवारी | Updated: Sep 22, 2022, 10:58 AM IST

PM Modi and President Joe Biden :  पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बिडेन

Joe Biden के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि USA पहले भी यह मानते था और आज भी इस बात को मानते है कि India को UNSC का स्थायी सदस्य होना चाहिए.

डीएनए हिंदी: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अमेरिका (USA) ने समर्थन किया है. भारत के साथ-साथ अमेरिका ने जापान (Japan) और जर्मनी (Germany) को यूएनएससी का स्थायी सदस्य बनाए जाने का समर्थन किया है. इस बारे में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बुधवार को कहा कि अभी इस दिशा में बहुत काम किया जाना बाकी है. 

उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, "हम पहले भी यह मानते थे और आज भी इस बात को मानते हैं कि भारत, जापान और जर्मनी को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाया जाना चाहिए."

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क्या है UNSC?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के छह प्रमुख अंगों में से एक है. यह परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करता है. इसकी शक्तियों में शांति अभियान स्थापित करना, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध लागू करना और सैन्य कार्रवाई को अधिकृत करना शामिल है. यूएनएससी एकमात्र संयुक्त राष्ट्र निकाय है जिसके पास सदस्य देशों पर बाध्यकारी प्रस्ताव जारी करने का अधिकार है.

इससे पहले, राष्ट्रपति बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में अपने संबोधन में सुरक्षा परिषद में सुधार की बात दोहराई. बाइडन ने कहा कि उनका मानना है कि वक्त आ गया है, जब संस्था को और समावेशी बनाया जाए, ताकि यह आज के युग की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर सके. उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद के सदस्य, जिनमें अमेरिका भी शामिल है, उन्हें संयुक्त राष्ट्र चार्टर की रक्षा करनी चाहिए और वीटो से बचना चाहिए. बाइडन ने कहा कि वीटो सिर्फ विशेष अथवा विषम परिस्थितियों में ही होना चाहिए, ताकि परिषद की विश्वसनीयता और उसका प्रभाव बना रहे. 

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उन्होंने कहा, "यही कारण है कि अमेरिका सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी, दोनों तरह के सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर जोर देता है. इनमें वे देश भी शामिल हैं, जिनकी स्थायी सदस्यता की मांग का हम लंबे समय से समर्थन करते आ रहे हैं."

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