Operation Dost क्या है? भूकंप के बाद हर कदम पर तुर्की की मदद कैसे कर रहा है भारत

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 09, 2023, 10:26 AM IST

Operation Dost

Turkey Syria Earthquake Update: तुर्की और सीरिया में आए भूकंप से मरने वालों की संख्या हर दिन बढ़ती ही जा रही है. राहत और बचाव कार्य जारी है.

डीएनए हिंदी: तुर्की और सीरिया में आए भूकंप ने भीषण तबाही मचाई है. अभी तक 15 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई है और लाखों लोग घायल हुए हैं. 7.8 तीव्रता वाले भूकंप ने दोनों देशों को हिलाकर रख दिया है. तुर्की में शहर के शहर तबाह हो गए हैं और हर तरफ सिर्फ खंडहर और मलबा नजर आ रहे हैं. इन्हीं मलबों में लोग दबे हुए हैं जिन्हें निकालने की कोशिशें जारी हैं. दुनियाभर के कई देश तुर्की और सीरिया की मदद के लिए आगे आए हैं. भारत ने भी भूकंप प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य के लिए 'ऑपरेशन दोस्त' शुरू किया है. इस अभियान में भारत के NDRF की कई टीमें तुर्की में राहत और बचाव अभियान में जुटी हुई हैं. भारत की ओर से खाने-पीने की चीजें और जरूरी दवाएं भी भेजी जा रही हैं.

भूकंप इतना जोरदार था कि 11 हजार से ज्यादा इमारते धराशायी हो गई हैं. कई मंजिला ऊंची इमारतों के मलबे में लोग फंसे हैं. इसी बीच बर्फबारी भी शुरू हो गई है. यही वजह है कि राहत और बचाव कार्य में काफी मुश्किलें आ रही हैं. भारत सरकार अपनी ओर तुर्की और सीरिया में राहत सामग्री के साथ-साथ दवाएं और एनडीआरएफ जैसी एजेंसियों की टीमें भेज रही है.

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क्या है ऑपरेशन दोस्त?
भारत सरकार ने इंडियन आर्मी की मदद से तुर्की और सीरिया के लिए 'ऑपरेशन दोस्त' शुरू किया है. इस ऑपरेशन में सेना के विमान तुर्की और सीरिया में राहत सामग्री और दवाएं पहुचा रहे हैं. इसके अलावा, भारत सरकार ने सर्च एंड रेस्क्यू टीमें भी भेजी हैं जो लोगों को बचाने और घायलों के इलाज में लगातार जुटी हुई हैं. भारत की एजेंसियों ने तुर्की में कैंप साइट अस्पताल भी बनाए हैं और मलबे से निकाले जा रहे लोगों का वहीं इलाज किया जा रहा है.

'ऑपरेशन दोस्त' के तहत भारत ने तुर्की में एक मोबाइल हॉस्पिटल, सर्च एंड रेस्क्यू टीम और जरूरी राहत सामग्री लेकर चार C-17 ग्लोबमास्टर प्लेन भेजे हैं. इसके अलावा, इंडियन एयरफोर्स के विमान 6 टन राहत सामग्री और दवाएं लेकर सीरिया गए हैं. आपको बता दें कि भारत के साथ-साथ दुनिया के दर्जनों देश सीरिया और तुर्की की मदद के लिए आगे आए हैं.

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भारत की ओर से जो पहला C-18 ग्लोबमास्टर प्लेन भेजा गया था उसमें सर्च ऑपरेशन टीम गई थी जिसमें खास तौर पर ट्रेन किए गए कुत्ते, ड्रिल मशीन, राहत सामग्री और दवाएं थीं. इसके बाद, भारतीय सेना के 99 सदस्यों की एक टीम तुर्की पहुंची जिसने वहां 30 बेड का अस्थायी अस्पताल तैयार कर दिया है. इन अस्पतालों में जल्द ही घायलों का इलाज भी शुरू कर दिया जाएगा.

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