डीएनए हिंदी: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के वैश्विक कूटनीति भी की हिस्सों में बंटी हुई है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की लगातार भारत से समर्थन की उम्मीद करते रहे हैं. वहीं अब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने खुलासे में बताया है कि यूक्रेन चाहता था कि भारत रूस के खिलाफ खुलकर बोले और उसकी मोर्चा बंदी करे. एस जयशंकर ने कहा है कि यूक्रेन चाहता था कि भारत रूस पर दबाव बनाए जो कि मुश्किल था.
दरअसल, यूएन की बैठक के बाद न्यूजीलैंड पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख साफ किया है. विदेश मंत्री ने कहा है कि भारत ने अनुरोध पर काम करते हुए रूस पर न्यूक्लियर पावर प्लांट की सुरक्षा के लिए दबाव डाला जो यूक्रेन के साथ देश के चल रहे युद्ध के दौरान युद्ध क्षेत्र के पास था.
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कूटनीतिक पहलू है महत्वपूर्ण
एस जयशंकर ने वैश्विक स्तर पर रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बनी कूटनीति को लेकर कहा, "हम स्वाभाविक तौर पर यूक्रेन संकट को काफी हद तक पूरब-पश्चिम के मुद्दे की तरह देखते हैं लेकिन मेरा मनना है कि यूक्रेन संकट के असर का उत्तर-दक्षिण (उत्तरी गोलार्ध के विकसित और दक्षिण गोलार्ध के विकासशील देश) पहलू भी है."
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परमाणु संयंत्र बचाने में अहम योगदान
आपको बता दें कि जपोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र दक्षिण पूर्वी यूक्रेन में स्थित है और यह यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है और इसे बचाने के लिए भारत ने रूस पर दबाव बनाया था. हालांकि भारतीय प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी लगातार रूस और यूक्रेन दोनों देशों के राष्ट्रपतियों से बात करें बातचीत से मुद्दे को हल करने की बात कही है लेकिन फिलहाल बातचीत की संभावनाएं न के बराबर हैं.
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