डीएनए हिंदी: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स (Monkeypox) को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी (Global Health Emergency) घोषित कर दिया है. साथ ही, डब्ल्यएचओ ने यह भी आशंका जताई है कि यह बीमारी दुनिया के बाकी देशों में भी फैल सकती है. WHO का कहना है कि यूरोप को छोड़कर दुनिया के बाकी क्षेत्रों में इस बीमारी का खतरा सामान्य (मॉडरेट) है जबकि यूरोप में इस बीमारी का खतरा काफी ज्यादा आंका गया है. आपको बता दें कि अब भारत में भी मंकीपॉक्स के कुछ मामले सामने आ चुके हैं.
WHO का मानना है कि दुनियाभर में मंकीपॉक्स का खतरा सामान्य है लेकिन यूरोप में इसका खतरा सबसे ज्यादा है. यह भी खतरा है कि यह पूरी दुनिया में फैल सकता है. कई देशों ने जानकारी दी है कि उनके यहां मंकीपॉक्स वायरस तेजी से फैला है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी कहना है कि ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने के लिए ज़रूरी तीनों शर्तें मंकीपॉक्स ने पूरी कर दी हैं.
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क्या है मंकी पॉक्स वायरस?
मंकीपॉक्स वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस के परिवार से आता है. इसमें वैरियोला वायरस भी शामिल है. गौरतलब है कि वैरियोला वायरस से स्मॉल पॉक्स या छोटी चेचक बीमारी होती है, इसी परिवार के वैक्सीनिया वायरस का इस्तेमाल स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन में होता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक की तुलना में कम गंभीर होते हैं. स्मॉलपॉक्स या चेचक को टीके के ज़रिए दुनिया भर से 1980 में ख़त्म कर दिया गया था पर कई मध्य अफ्रीकी और पश्चिम अफ्रीकी देश में मंकीपॉक्स के केस अब भी पाए जाते हैं.
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Monkeypox के लक्षण
यूरोपीय क्षेत्र में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के निदेशक डॉक्टर हैंस क्लूगे के मुताबिक, आमतौर पर इस रोग में, बुखार, त्वचा पर दाने और लिम्फ नोड्स में सूजन जैसे लक्षण सामने आते हैं. कई बार शरीर में दर्द और त्वचा पर फोड़े निकल आते हैं. शरीर पर लाल-लाल चकत्ते भी पड़ जाते हैं. ज्यादातर मामलों में संक्रमित मरीज बिना किसी उपचार के ठीक हो जाते हैं.
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