Iran Hijab Row: कौन है मोहसिन शेखरी जिसे दी गई फांसी की सजा? 23 साल के लड़के से क्यों डरी ईरान की सरकार

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 10, 2022, 12:02 PM IST

ईरान में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन लगातार बढ़ता जा रहा है. 

Iran Hijab Row: पुलिस ने मोहसिन शेखरी को प्रदर्शन के दौरान 25 सितंबर को हिरासत में लिया था.

डीएनए हिंदीः ईरान में हिजाब विवाद (Iran Hijab Row) के बाद से हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. सरकार के खिलाफ लोगों को विरोध प्रदर्शन लगातार बढ़ता जा रहा है. लोगों के बढ़ते विरोध को देखते हुए ईरान ने 23 साल के एक लड़के को फांसी की सजा दे दी. मोहसिन शेखरी (Mohsen Shekari) नाम के इस युवक को फांसी देने से ईरान में माहौल और बिगड़ गया है. सरकार अब कर कई लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. 

किस आरोप में मिली सजा
मोहसिन को तेहरान में सड़क रोकने और सुरक्षा बल के एक जवान पर हमले के आरोप में 25 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद उस पर इसके आरोप सिद्ध हो गए. आरोप है कि हमले में एक सैनिक की मौत भी हो गई थी. प्रदर्शनकारियों को डराने के लिए ईरान की सरकार ने मोहसिन को 20 नवंबर को फांसी की सजा सुनाई. इसके बाद दिसंबर को उसे फांसी की सजा सुना दी गई. 

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आखिर ईरान में क्यों मचा है बवाल?
ईरान में 22 साल की महसा अमीनी (Mahsa Amini) की मौत पर इन दिनों खूब बवाल मचा हुआ है. महसा को ठीक तरीके से हिजाब ना पहनने पर हिरासत में लिया गया था. हिरासत में उसकी मौत के बाद ईरान में जमकर हंगामा हो रहा है. आरोप है कि उसे पुलिस ने इतना टॉर्चर किया कि उसकी जान चली गई. महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में महिलाओं ने हिजाब को लेकर आंदोलन कर दिया है. वे हिजाब उतारकर उन्हें जला रही हैं, बालों को काट रही हैं. महिलाएं सड़कों पर बगैर हिजाब निकल आईं और सरकार विरोध नारे (Protests) लगाने लगीं.

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आंदोलन ने कैसे पकड़ी रफ्तार?  
महसा अमीनी को ईरान पुलिस ने हिजाब ठीक से पहनने को ना लेकर हिरासत में लिया था. महसा अमीनी के कई फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुए जिनमें उसके चेहरे और शरीर पर चोट के कई निशान थे. उसकी पुलिस हिरासत में मौत हो गई. इसके बाद ईरान में तमाम लोगों ने ड्रेस कोड और उससे जुड़े कानूनों की आड़ में महिलाओं को हिरासत में लेकर उनके उत्पीड़न की बातें शुरू कर दीं. पूरे मामले में पुलिस ने जब जिम्मेदारी लेने से इनकार दिया तो आंदोलन तेज हो गया. महसा अमीनी की मौत के बाद सबसे पहले आंदोलकारी तेहरान के बाहरी इलाके में स्थित कासरा अस्पताल के बाहर एकत्रित हुए. यहीं मसहा को भर्ती कराया गया था. इसके बाद पूरे तेहरान में विरोध प्रदर्शन फैल गया. अमीनी साकेज शहर की रहने वाली थी. यहां भी प्रदर्शन तेज हो गए. पुलिस ने अंतिम संस्कार के वक्त लोगों की सीमित संख्या तय की थी लेकिन इसके बावजूद हजारों की संख्या में लोग उसकी कब्र के पास पहुंच गए. तेहरान यूनिवर्सिटी की फैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट्स में भी सौ से अधिक छात्रों ने शांतिपूर्ण विरोध दर्ज कराया.  

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