क्यों 'शी जिनपिंग वाले चीन' को भारत के लिए माना जा रहा है बड़ा खतरा?

हिमांशु तिवारी | Updated:Nov 25, 2022, 04:03 PM IST

Xi Jinping

माओत्से तुंग ने 1962 में ग्रेट लीप फॉरवर्ड की भारी विफलता के बाद भारत पर हमला किया था, जिसके परिणामस्वरूप भूख और अकाल के कारण लाखों की मौत हो गई.

डीएनए हिंदी: दुनिया की सबसे बड़ी आईफोन फैक्ट्री में चीन की नीतियों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन जारी है. कोविड को लेकर चीनी नीतियों के कड़े किए जाने पर भी लोगों का गुस्सा भड़का है. 'जीरो कोविड नीति' के तहत कोरोना संक्रमितों को पेमेंट नहीं दिए जाने की चीन की मनमानी से वहां के लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. चीन के मौजूदा हालात बीजिंग में भी आंशिक या पूरी तरह से लॉकडाउन लगाए जाने की तरफ संकेत दे रहे हैं. राष्ट्रपति शी जिनपिंग भले ही तीसरे कार्यकाल के लिए चुने गए हैं, लेकिन वे पिछले चार दशकों में सबसे कम आर्थिक विकास का सामना करने वाले पहले नेता हैं.

हालांकि, पूरे चीन में गंभीर संकट और आंतरिक तनाव में आर्थिक विकास के साथ-साथ देश के भीतर चरमराई आंतरिक परेशानियों को दूर करना एक बड़ा संकट बन गया है. चीन में युवाओं के बीच बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकती है. 

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बता दें माओत्से तुंग ने 1962 में ग्रेट लीप फॉरवर्ड की भारी विफलता के बाद भारत पर हमला किया था, जिसके परिणामस्वरूप भूख और अकाल के कारण लाखों चीनी लोगों की मौत हो गई थी. मौजूदा वैश्विक हालातों को देखें तो ताइवान अमेरिका के संरक्षण में है ऐसे में भारत की स्थिति अलग-थलक है. भारत को भी रणनीतिक स्तर पर संभल जाना चाहिए. कहीं ऐसा न हो कि चीन अपनी आंतरिक कमजोरियों को छिपाने ने  लिए भारत पर हमला कर दे. 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर चीन ऐसी स्थिति में सैनिक कार्रवाई तेज कर सकता है. 

आर्थिक मोर्चों पर भारत के पड़ोसी देशों जैसे - श्रीलंका, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, म्यांमार, भूटान या बांग्लादेश में भी चीन अशांति पैदा कर सकता है. शी के नेतृत्व में चीन भारत पर सीधे तौर पर पाकिस्तान के माध्यम से सैन्य दबाव बना रहा है. हालांकि, उसे खुद से सवाल करना चाहिए कि पिछले पांच सालों में QUAD को प्रमुखता क्यों मिली है? इसके पीछे कहीं न कहीं चीन की रणनीति जिम्मेदार है.

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उधर भारत रूस के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है और ताकि महत्वपूर्ण सैन्य आपूर्ति और अन्य प्लेटफार्म के पर भारत को चीन की तरफ आशा की नजरों से न देखना पड़े. हालांकि, भारत को अपने सैन्स संसाधनों को उन्नत करने की आवश्यकता है ताकि वह महत्वपूर्ण हार्डवेयर आपूर्ति के लिए किसी तीसरे देश पर निर्भर न रहे.

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