डीएनए हिंदी: भारत के लिए आज का दिन ऐतिहासिक रहा. करीब 500 वर्षों से तपस्या कर रहे भक्तों को आज अयोध्या में उनका राम मंदिर मिल गया. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद रामलला गर्भगृह में विराजमान हो गए. भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का जश्न भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में मनाया गया. इस समारोह को विदेशी मीडिया ने भी प्रमुखता से दिखाया. आइये जानते हैं कि रामलला प्राण प्रतिष्ठा को लेकर विदेशी मीडिया ने क्या कहा है.
अमेरिका की मीडिया ने क्या लिखा?
अमेरिका की द वॉशिंगटन पोस्ट (The Washington Post) ने लिखा कि अयोध्या में 22 जनवरी को दशकों पुरानी हिंदू राष्ट्रवादी प्रतिज्ञा को पूरा किया. रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान बड़ी संख्या में लोग अयोध्या पहुंचे. अमेरिका की ब्रॉडकास्टर NBC न्यूज ने लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राम मंदिर का उद्घाटन किया, जिसे हिंदूओं का प्रमुख देवता माना जाता है. यह मंदिर अयोध्यावासियों की कायापलट कर उसे एक पर्यटक स्थल बनाने में अहम भूमिका बनाएगा.
एबीसी न्यूज ने लिखा कि भारत की तरह मॉरीशस में भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान हिंदू सरकारी कर्माचिरयों को दो घंटे की छुट्टी दी गई. मॉरीशस में भी आधी आबादी हिंदुओं की है. रिपोर्ट में कहा गया कि बीजेपी दशकों से राम मंदिर बनाने की वकालत कही रही, इसलिए आगामी चुनावों में इसका फायदा मोदी को हो सकता है. वहीं अमेरिकी ब्रॉडकास्टर ने एक NGO हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स की कार्यकारी निदेशक सुनीत विश्वनाथ के हवाले से लिखा है कि मोदी का यह उद्घाटन समारोह एक 'चुनावी हथकंडा' था. धर्म के नाम पर ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए थी.
रॉयटर्स
लंदन की समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने पीएम मोदी के राम मंदिर उद्घाटन को ऐतिहासिक बताते हुए लिखा कि ब्रिटेन में रह रहे भारतीय लोगों ने अपने घरों और मंदिरों में दीये जलाकर दीवाली जैसा त्योहार मनाया. एक राजनीतिक टिप्पणीकार के हवाले लिखा कि राम मंदिर का उद्घाटन किसी धार्मिक उत्सव से ज्यादा चुनाव के प्रचार की शुरुआत ज्यादा लग रहा था. रॉयटर्स ने लिखा कि इस समारोह की वजह से भारत में राजनीतिक विवाद भी देखने को मिला. कांग्रेस समेत बड़ी विपक्षी दलों ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता अस्वीकार कर दिया. विपक्षी पार्टियों का आरोप था कि यह समारोह धार्मिक नहीं बल्कि मोदी इवेंट था.
द गार्डियन
ब्रिटिश अखबार गार्डियन ने लिखा कि भारत में दो-तीन महीने बाद होने हैं. जिसमें मोदी और उनकी भाजपा, सरकार में तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश करेगी. राम मंदिर के उद्घाटन समारोह को कुछ विश्लेषकों ने चुनाव अभियान की अनौपचारिक शुरुआत के तौर पर बताया है.
बीबीसी
ब्रिटेन के ब्रॉकास्टर BBC वर्ल्ड ने लिखा, 'अयोध्या में राम मंदिर 16वीं शताब्दी में बनी एक मस्जिद की जगह लेगा, जिसे हिंदुओं की एक भीड़ ने वर्ष 1992 में तोड़ दिया था. मस्जिद को ढहाए जाने के दौरान हिंसा भड़क गई थी जिसमें करीब 2,000 लोग मारे गए थे. मंदिर उद्घाटन में फिल्म स्टार्स, क्रिकेटर और उद्योगपतियों ने भले ही हिस्सा लिया. लेकिन विपक्षी दलों ने इससे दूरी बनाकर रखी. विपक्ष का आरोप है कि पीएम मोदी इस कार्यक्रम को एक राजनीतिक इवेंट के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं.
क्या बोली पाकिस्तान मीडिया?
पाकिस्तान के डॉन अखबार ने लिखा कि राम मंदिर के इस कार्यक्रम में फिल्म अभिनेताओं, क्रिकेटरों और प्रमुख उद्योगपतियों के अयोध्या पहुंचे. जिसे बहुसांस्कृतिक सभ्यता का केंद्र माना जा रहा है. वहां मुस्लिम लोगों ने हिंसा के डर से अपने बच्चों और महिलाओं को पड़ोसी शहरों में रिश्तेदारों के पास भेज दिया.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.