दुनिया आज अनिश्चितताओं की चादर में लिपटी हुई है. पिछले दो वर्षों से रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने वैश्विक स्थिरता को खतरे में डाल दिया है. इस बीच, मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव एक नई चुनौती पेश कर रहा है. ऐसे समय में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सेना की तैयारी का निरीक्षण किया और सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया. यह कदम तब उठाया गया है जब चीन ताइवान के आस-पास बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास कर रहा है, जिससे स्थिति और भी तंग होती जा रही है. इसके अलावा , भारत के साथ भी पिछले कुछ समय से सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है.
परमाणु हथियारों पर दिया जोर
रॉकेट फोर्स ब्रिगेड के निरीक्षण के दौरान, जिनपिंग ने खासतौर पर परमाणु हथियारों पर जोर दिया और कहा कि चीन को अपनी परमाणु क्षमता को और मजबूत करना होगा. उन्होंने सैनिकों को निर्देश दिया कि युद्ध के लिए तैयारियों को व्यापक रूप से सुनिश्चित किया जाए और रणनीतिक क्षमताओं को बढ़ाया जाए. चीनी सरकारी मीडिया चाइना सेंट्रल टेलीविजन (सीसीटीवी) राष्ट्रपति जिनपिंग के इस दौरे के दौरान सैनिकों में भी काफी उत्साह देखा गया. शी जिनपिंग ने आगे कहा कि कहा, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे सैनिकों के पास युद्ध लड़ने के लिए मजबूत और आधुनिक क्षमताएं हों.
ताइवान पर हमले की आशंका
चीनी सेना के ताइवान के आस-पास समुद्री और वायु क्षेत्र में लगातार सैन्य अभ्यास करने से ताइवान पर हमले की आशंका बढ़ गई है. ताइवान और चीन के बीच वर्षों से विवाद चलता आ रहा है. चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानता है. जिनपिंग का यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन की सेना ताइवान के चारों ओर सैकड़ों युद्धपोत, फाइटर जेट्स और मिसाइल सिस्टम तैनात कर रही है.
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भारत-चीन सीमा पर तनाव
जिनपिंग की सेना को मजबूत बनाने की यह रणनीति सिर्फ ताइवान तक सीमित नहीं है. बताते चलें कि, भारत के साथ चीन की सीमा पर भी लगातार तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है. पिछले कुछ सालों में, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्रों में चीन और भारत के सैनिकों के बीच कई बार टकराव हो चुके हैं.
भविष्य का दृष्टिकोण
शी जिनपिंग लगातार चीन की सैन्य ताकत को बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं. उन्होंने अपनी पार्टी और देश को एकजुट करने के लिए सेना को मजबूत करने का संकल्प लिया है. राष्ट्रपति जिनपिंग ने कहा, दुनिया कि मौजूदा हालात को देखते हुए हमें अपनी सेना को किसी भी स्थिति के लिए तैयार रखना होगा और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. विदेश मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि शी जिनपिंग का यह दौरा और उनके बयान आने वाले समय में एशिया और वैश्विक राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं. विशेष रूप से ताइवान और भारत जैसे देशों के साथ चीन के रिश्तों में बढ़ते तनाव के संदर्भ में यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है. बताते चलें कि ताइवान को अमेरिका की ओर से लगातार समर्थन मिलता रहता है और चीनी राष्ट्रपति का यह बयान भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है. इसलिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उनके सैनिकों को दिए गए इस निर्देश का क्षेत्र में क्या असर पड़ता है.
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