Corruption Index: इमरान खान के कार्यकाल में पाकिस्तान में चरम पर पहुंचा भ्रष्टाचार, जानें भारत का रैंक

इमरान खान के कार्यकाल में पाकिस्तान में भ्रष्टाचार पहले की तुलना में काफी बढ़ गया है. हालिया वैश्विक रिपोर्ट में भी इसका खुलासा हुआ है.

| Updated: Jan 25, 2022, 08:53 PM IST

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इस सूची में डेनमार्क, न्यूजीलैंड और फिनलैंड 88-88 अंकों के साथ पहले स्थान पर हैं. नॉर्वे, सिंगापुर, स्वीडन, स्विटजरलैंड, नीदरलैंड, लक्जमबर्ग और जर्मनी ने टॉप  10 में जगह बनाई है. इसका मतलब है कि इन देशों में भ्रष्टाचार का स्तर काफी कम है. ब्रिटेन 78 अंकों के साथ 11वें स्थान पर है. अमेरिका को 2020 में 67 अंक मिले थे. उसे इस बार भी इतने ही अंक मिले हैं लेकिन वह 2 स्थान लुढ़कर 27वें पर रहा है. कनाडा 74 अंकों के साथ 13वें स्थान पर है. इस सूचकांक में 180 देशों और क्षेत्रों को अंक दिए गए हैं. दक्षिण सूडान 11 अंकों के साथ सबसे निचले स्थान पर, सोमालिया को 13, वेनेजुएला को 14 और यमन,उत्तर कोरिया और अफगानिस्तान को 16-16 अंक मिले हैं. इन सभी देशों में भ्रष्टाचार का स्तर काफी ज्यादा है. 

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इमरान खान ने प्रधानमंत्री बनने के बाद नया पाकिस्तान का नारा दिया था. लगता है कि यह नारा सिर्फ जुमला बनकर रह गया है क्योंकि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार का स्तर काफी ज्यादा है. नवाज शरीफ के कार्यकाल की तुलना में इमरान खान के कार्यकाल में भ्रष्टाचार पहले से बढ़ा है. 2018 के बाद से रैंकिंग में पाकिस्तान लगातार नीचे ही जा रहा है. 

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इमरान खान के कार्यकाल में पाकिस्तान में भ्रष्टाचार के मामले तेजी से बढ़े हैं. अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में भी इस बात का खुलासा हुआ है. 2018 में इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे. उसके बाद 2019 में भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में पाकिस्तान का स्थान 120 था. 2020 में पाकिस्तान 4 पायदान नीचे फिसलकर 124वें स्थान पर आ गया. 2021 में तो भ्रष्टाचार इस कद बढ़ा कि 16 पायदान का गोता लगाकर पाकिस्तान 140वें स्थान पर पहुंच गया है.

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भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2021 में भारत पिछले साल की तरह 40 के स्कोर के साथ 85वें स्थान पर बना हुआ है. 2018 में भारत भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में 41 के स्कोर पर था . 2019 में भी भारत का स्कोर 41 बना रहा था. साल 2020 में भारत को एक अंक का नुकसान हुआ और वह दोबारा 40 के स्कोर पर जा पहुंचा था. 2021 में भी भारत के स्कोर में कोई सुधार नहीं हुआ और अब भी यह 40 ही बना हुआ है.

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रिपोर्ट में पिछले एक साल के जिन मुद्दों का जिक्र किया गया है उसमें जासूसी से जुड़ा पेगासस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल की बात भी शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कई देशों ने वैश्विक महामारी ने मूलभूत आजादी को कम करने और नियंत्रण एवं संतुलन को दरकिनार करने के बहाने के रूप में इस्तेमाल किया है. यह भी कहा गया है कि ओवरऑल सर्वाधिक अंक हासिल करने वाले पश्चिमी यूरोप में कई देशों ने वैश्विक महामारी को भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों में ढील देने के लिए बहाना बनाया है. दुनिया भर के देशों ने जवाबदेही और पारदर्शिता के कदमों को नजरअंदाज किया गया या वापस लिया गया है.