New Zealand के Golden Bay में फंसीं 34 Whales, जानिए आखिर क्यों Death Trap के नाम से कुख्यात है यह जगह

न्यूजीलैंड के गोल्डन बे को डेथ ट्रैप कहा जाता है. यहां 2017 में 250 व्हेलों की मौत हुई थी.

| Updated: Mar 20, 2022, 10:04 AM IST

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दरअसल, संरक्षण विभाग के प्रवक्ता डेव विंटरबर्न ने बताया कि शुक्रवार सुबह ऊंची लहरों के दौरान पांच व्हेलों को समंदर में वापस पहुंचाने की कोशिश की गई लेकिन इतने बड़े और विशाल जीवों को बिना नुकसान पहुंचाए सागर में लौटाना आसान नहीं था और वे वहां फंस गईं.
 

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ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैसे व्हेलों का झुंड का तटो पर फंस जाता है. आपको बता दें कि इस तरह तटों पर फंसना और मारा जाना कोई नई बात नहीं है. विशेषज्ञ अभी तक यह नहीं समझ सके हैं कि महासागरों में मौजूद ये विशाल स्तनधारी जीव तटों पर आखिर क्यों अटक जाते हैं?
 

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वहीं न्यूजीलैंड के अधिकारी विंटरबर्ग कहते हैं कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन व्हेलों का इस तरह तटों पर फंसना प्राकृतिक है. गोल्डन-बे में व्हेलें जिस जगह पर निढाल पड़ी थीं, उसे ‘फेयरवेल स्पिट' भी कहा जाता है. ‘फेयरवेल स्पिट तस्मान सागर में एक पतली लकीर जैसा इलाका है.वहां 26 किलोमीटर लंबी और 800 मीटर चौड़ी एक जमीनी रेखा समंदर को बांटती हैं. व्हेलें इसी रेतीले तट में फंस जाती हैं.
 

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गौरतलब है कि व्हेल मछलियां सोनार सिग्नल छोड़ती हैं. यह सिग्नल दूसरे जीवों या तटों से टकराकर वापस लौटते हैं. इससे व्हेलों को इलाके और भोजन की सटीक जानकारी मिलती है. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि छिछले समंदर में व्हेलों का सोनार नेविगेशन सिस्टम ठीक से काम नहीं करता. शायद इसी वजह से व्हेलें रास्ता भटक जाती हैं और ऊंची लहरों के साथ वे छिछले इलाके तक पहुंच जाती हैं, लेकिन कुछ घंटे बाद लहरें तो नीचे उतर जाती हैं, लेकिन व्हेलें वहीं फंसी रह जाती हैं. 
 

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ध्यान देने वाली बात यह है कि ‘फेयरवेल स्पिट में पिछले 15 सालों में व्हेलों के अलग-अलग झुंड 10 बार फंस चुके हैं. इस इलाके में व्हेलों के फंसने का सबसे बड़ा मामला फरवरी 2017 में सामने आया था. तब करीब 700 व्हेलें रेत में अटक गई थीं। बचाव की तमाम कोशिशों के बावजूद 250 व्हेलों ने दम तोड़ दिया था.