Angela Merkel: जर्मनी की पहली महिला चांसलर से विश्व नेता तक का सफर
16 सालों के चुनौतीपूर्ण करियर के बाद जर्मनी की पहली महिला चांसलर Angela Merkel विदा हुईं. अद्भुत नेतृत्व और निर्णय क्षमता ने उन्हें वैश्विक पहचान दी.
लगातार 4 सफल कार्यकाल के बाद एंजेला मर्केल की विदाई हुई है. उनके उत्तराधिकारी Olaf Scholz होंगे. अभी शोल्ज वित्त मंत्री एवं वाइस चांसलर हैं. एंजेला मर्केल के उत्तराधिकारी ओलाफ शुल्ज के नाम पर मंजूरी से पहले जर्मनी के तीन दलों ने प्रगतिशील गठबंधन बनाने के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. शुल्ज की मध्य वाम पार्टी सोशल डेमोक्रेट्स, पर्यावरण के मुद्दों को उठाने वाली पार्टी ग्रींस और कारोबार समर्थक फ्री डेमोक्रट्स का समर्थन मिला है.
एंजेला मर्केल की उपलब्धियों के साथ भारत के लोग उन्हें दोनों देशों के बीच मजबूत साझेदारी के लिए भी याद करेंगे. मर्केल और पीएम मोदी की कई मुलाकातें हुईं और दोनों देशों के बीच बहुत से महत्वपूर्ण समझौते हुए. 2019 में दोनों देशों के बीच 20 से ज़्यादा समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. इनमें कोस्टल मैनेजमेंट, नदियों की सफाई, शिक्षा जैसे मुद्दे शामिल हैं. भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने में मर्केल का खास ज़ोर शिक्षा पर था. उन्होंने जर्मनी के सहयोग से भारतीय छात्रों के लिए स्किल और लर्निंग बेस्ड प्रोग्राम बढ़ाने पर ज़ोर दिया था.
अपने कार्यकाल में उन्होंने चार प्रमुख चुनौतियों का सामना किया. उन्होंने 2008 के वैश्विक मंदी, यूरोप का ऋण संकट, 2015-16 में यूरोप में शरणार्थी संकट और कोविड-19 वैश्विक महामारी का सामना किया. इन चारों चुनौतियों का जिस तरह से मर्केल ने नेतृत्व किया, उसने उन्हें हमेशा के लिए वैश्विक नेता के तौर पर स्थापित कर दिया.
एंजेला मर्केल के बारे में पूरी दुनिया अब यह मानने लगी है कि वह मजबूत विचारों और दृढ़ इच्छाशक्ति का उदाहरण हैं. मर्केल के राजनीति में आने का फैसला भी दिलचस्प है. 1989 में जब जर्मनी की दीवार गिरी थी उस वक्त देश की परिस्थितियों ने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया. फिजिक्स से डॉक्टरेट मर्केल ने फैसला किया कि वह विज्ञान और शोध की दुनिया छोड़कर अपने देश के भविष्य को मजबूत बनाने के लिए राजनीति में उतरेंगी.